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Jun 1, 2025

आलेखः परमाणु हथियार - सुरक्षा के लिए पाकिस्तान हुआ शरणागत

 - प्रमोद भार्गव

आपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान के परमाणु संस्थान और आयुध भारतीय मिसाइलों की मार के दायरे में आ गए तो पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए और अमेरिका, चीन व इस्लामिक देशों की मदद से संघर्ष विराम कराने में सफल हो गया। इस हेतु अमेरिका और चीन ने कूटनीतिक चालें चलीं और उन्होंने अपेक्षित मंशा पूरी कर ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो इतने बड़े बोल, बोल गए कि उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि मैंने दोनों देशों को धौंस देकर युद्ध विराम कराया है। यदि परमाणु युद्ध हो जाता, तो लाखों लोग बेमौत मारे जाते। यह मानवता के लिए बड़ा संकट होता। यानी ट्रंप ने दादागिरी जताते हुए धमकी भी दे दी और दो देशों के लोगों को बड़ी मानव त्रासदी से बचाने का कथित श्रेय भी ले लिया। हालाँकि अगले दिन ही प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए वैश्विक शक्तियों को जता दिया कि भारत ने अपनी सैन्य सामर्थ्य दिखा दी और युद्ध के नियमों का पालन करते हुए पर्याप्त संयम भी बरता। साथ ही यह चेतावनी भी दे डाली कि भारत किसी भी स्तर पर न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अर्थात् परमाणु भयादोहन नहीं सहेगा। साफ है, यदि अब पाकिस्तान ने किसी भी प्रकार की आतंकी घटना को अंजाम दिया, तो पाकिस्तान को परमाणु भंडार समेत मिट्टी में मिला दिया जाएगा।

परमाणु भयादोहन का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय फलक पर क्यों उठा? और वैश्विक ताकतों की चूलें क्यों हिल गईं, इसे भारतीय सेना के पराक्रम से समझ लेते हैं। दरअसल हमारी सेना द्वारा दागी गईं  मिसाइलों की अचूक मारक क्षमता के दायरे में पाकिस्तान के परमाणु भंडार और संयंत्र आ गए थे। इससे न केवल पाक के पसीने छूट गए; बल्कि अमेरिका, चीन और तुर्किये भी बेचैन हो गए। चीन और तुर्किये के हथियारों की साख पर भी सवाल उठ खड़े हुए कि वे कितने उपयोगी हैं ? पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय रावलपिंडी में है। इसी के निकट चकलाता में नूर खान एयरबेस के पास परमाणु कमान केंद्र है। पाक के पंजाब में सरगोधा हवाई पट्टी के पास परमाणु आदान-प्रदान केंद्र है। भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलें सटीक निशाने पर दाग कर नूर खान और सरगोधा की हवाई पट्टियाँ पूरी तरह ध्वस्त कर दी थीं। हमारी मिसाइलें मछली की आँख पर अर्जुन के तीर की तरह लक्षित निशाने पर सटीक बैठीं। वस्तुतः नूर खान एवं सरगोधा हवाई अड्डों को भारी तबाही झेलनी पड़ी। 

 इन अचूक हमलों से पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल असीम मुनीर और उनके अधीन सेना को दिन में तारे दिखाई देने लगे। सेना समेत पाक के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। जिस परमाणु शक्ति के बूते पाक के जिन बुजदिल नायकों को अपनी परमाणु शक्ति पर गर्व था और इसी ताकत के बूते ये भारत पर परमाणु हमला कर देने की धमकियाँ दिया करते थे, उन्हें अहसास हो गया कि उनके परमाणु हथियार भारतीय मिसाइलों के निशाने पर हैं। मसलन पाक ने समझ लिया कि भारत ने हमले नहीं रोके, तो उसके परमाणु हथियार एक-दो दिन के भीतर नेस्तनाबूद कर दिए जाएँगे। इस आशंका से भयभीत पाकिस्तान के लाचारी में आए आका अमेरिका के आगे नतमस्तक हुए और गिड़गिड़ाकर गुहार लगाई कि हर हाल में भारत के हमलों को रुकवाएँ। दरअसल, चौतरफा मात खाया पाकिस्तान चाहता था कि तत्काल संघर्ष विराम हो ? 

 कुल मिलकर युद्ध विराम से तत्काल तो अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के मंसूबे सध गए, लेकिन भारत के मंसूबे पाक घोषित आतंक को पूरा सबक सिखाने से अधूरे रह गए।

  बावजूद आपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगियों के नेतृत्व व हमारी तीनों सेनाओं के पराक्रम से जिस सीमा तक पहुँच गया था, उससे एक तो पाकिस्तान का यह मिथक टूट गया कि वह परमाणु हमला करने में सक्षम है ? दूसरे चीन और तुर्किये के हथियारों की औकात दुनिया के सामने आ गई कि वे कितने थोथे और अविश्वसनीय हैं। अतएव कालांतर में भारत की फौज से कोई भी प्रत्यक्ष युद्ध की स्थिति में सामना करने से कतरएगा; क्योंकि इस लड़ाई में चीन के जेट विमानों और वायु सुरक्षा प्रणाली की पोल खुल गई है। अब तक पाकिस्तानी संसद में भारत को यह कहते हुए धमकाया जाता रहा है कि हमारे परमाणु बम नुमाइश के लिए नहीं हैं। इसी धमकी को जम्मू- कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी दोहराती रही हैं कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार दिखावे के लिए नहीं रखे हुए हैं। कुछ कांग्रेसी नेता भी इस भय को जताकर आतंकवाद का पोषण और मुस्लिम तुष्टीकरण करने में लगे रहे हैं। आपरेशन सिंदूर के तहत हमारी तीनों सेनाओं के संयुक्त अभियान ने पाक की कथित शक्ति को तिनकों की तरह बिखेर कर, इस झूठ का ही पर्दाफाश कर दिया कि पाक के पास भारत से प्रत्यक्ष लड़ाई लड़ने का न तो कोई मनोबल है और न ही दृष्टि है।

  यहाँ भी समझने की जरूरत है कि परमाणु हमला कोई बंदूक का ट्रिगर नहीं है कि दबाया और गोली छूट गई। परमाणु हमले के लिए इसकी अलग-अलग स्थलों पर रखी इकाइयों को एक जगह लाकर जोड़ना होता है। इस प्रक्रिया में कम से कम आठ-दस घंटे लगते हैं। शत्रु देश यदि इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुँचाने के प्रयास में आता है, तो यह गतिविधि तुरंत अंतरिक्ष में स्थापित हमारे युद्ध संबंधी उपग्रहों की पकड़ में आ जाएँगे और सेना कमांड स्टेशनों को इस हरकत की खबर लग जाएगी। हम अपनी मिसाइलों की निशानदेही इस युद्ध में देख चुके हैं। इसके मायने हैं कि यदि पाक परमाणु हमले का प्रयास करता है तो उसके कथित मंसूबे पर अविलंब पानी फेर दिया जाएगा। इस समय हमारे पास थल, जल और वायु से मार करने वाली कई प्रकार की मिसाइलें उपलब्ध हैं। अतएव यह जानना भी जरूरी है कि परमाणु बम बनाना एक बार आसान है, लेकिन उसे चलाना उतना ही कठिन है। वरना अब तक रूस यूक्रेन पर और इजरायल फिलिस्तीन पर परमाणु हमले कर चुके होते ? हालांकि इजरायल को आमतौर पर परमाणु शक्ति संपन्न देश तो माना जाता है, परंतु इजराइल इस सच्चाई को न तो स्वीकारता है और न ही नकारता है। इजराइल की यह रणनीतिक अस्पष्टता उसकी ताकत को पुख्ता किए हुए है।

    भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था। इस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं और देश आपातकाल के दौर से गुजर रहा था। इसके बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण हुआ था। इसे आपरेशन ‘शक्ति’ नाम दिया था, जबकि पहले परीक्षण को ‘बुद्ध मुस्कराए’ (स्माइलिंग बुद्धा) नाम दिया गया था। इन प्रतीकार्थों के अर्थ हैं, शक्ति से ही मानवता मुस्कुरा सकती है। ये दोनों ही परीक्षण राजस्थान के पोखरण क्षेत्र में किए गए थे। दूसरे परीक्षण के बाद दुनिया ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश मान लिया था। भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद ही पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने परमाणु बम बनाने का निश्चय करते हुए कहा था, ‘हम घास खा लेंगे, भूखे रह लेंगे, परंतु परमाणु बम अवश्य बनाएँगे।’ भुट्टो ने इसे मुसलमानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में प्रस्तुत किया। और फिर भौतिक एवं धातु विज्ञानी अब्दुल कादिर खान की मदद से परमाणु शक्ति संपन्न देश बना। कालांतर में 28 मई 1998 को बलूचिस्तान के चगाई जिले की रसकोह पहाड़ी पर चगाई-1 भूमिगत परमाणु परीक्षण किया। इसमें चीन ने भी मदद की थी। लेकिन आतंकवाद के पोशक पाकिस्तान को यह परमाणु क्षमता अपनी बौद्धिक कौशल दक्षता से कहीं ज्यादा यूरेनियम की चोरी से प्राप्त हुई थी। बहरहाल पाकिस्तान के पास इस वक्त 170 परमाणु हथियार होने के अनुमान हैं। इसी के समतुल्य भारत के पास 172 परमाणु हथियार बताए जाते हैं। यानी पाक  अपनी अनैतिकता की आदत से कभी बाज नहीं आया; इसीलिए एक बार फिर मोदी ने साफ किया है कि हमने ऑपरेशन सिंदूर रोका नहीं है, केवल स्थगित किया है। साफ है, पाक ने अब दोगली हरकत की तो पाक के परमाणु ठिकानों पर ही भारत की अचूक मिसाइलें गरजकर गिरेंगी।  उसके कथित परमाणु मुखौटे का मिथक भी उजागर हो गया है।

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