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Jun 1, 2025

लघुकथाः परिचय

  -  प्रगति गुप्ता

“डॉक्टर साहिब शाम से पहले नहीं आ पाएँगे।... उन्हें अचानक किसी रिश्तेदार की तबीयत बिगड़ने से शहर के बाहर जाना पड़ा है। आपकी हालत खराब है, पाँच-छह घंटे इंतजार करना मुश्किल होगा।”

माया के पति का घर में छोटा-सा क्लिनिक था। मरीज़ा काफ़ी बूढ़ी थी। उसे तेज बुखार और लगातार खाँसी उठ रही थी। माया ने मरीज़ को सूचित किया। 

मरीज़ बोली- 

“वापस कहाँ जाऊँगी?... मेरे पास बार-बार बस की टिकट खरीदने को रुपये नहीं मैडमजी।... मैं उनका इंतज़ार कर लूँगी।”

“ इतने घंटे इंतजार! आप कुछ खाना-पीना साथ लाई हैं? आपके साथ कौन आया है?... अँधेरा होने पर वापस कैसे जाएँगी?”

“कोई नहीं है मेरे साथ आने वाला।....मर्द कामचोर और दारुड़ा है। मैं ही उसे रोटी डालती हूँ। मेरी सौंफ-सुपारी की छोटी-सी दुकान है, जिन्हें बेचकर घर खर्च चलाती हूँ। सब काम अकेले करती रही हूँ। डरती नहीं हूँ.. अपने आप चली भी जाऊँगी।”

फिर उसने अपने थैले से टिफ़िन निकालकर थोड़ा- बहुत खाया। माया को चिंतित देख वह बोली- “मैडम जी! आप परेशान मत हो। बहुतों को ठोका है मैंने।”

माया एकाएक पूछ बैठी-  “आपको क्यों मारने की जरूरत पड़ी?”

“जो मुझे गलत समझे उसे!... चाहे मेरा मरद ही क्यों न हो।... अकेली औरत को सताने वाले बहुत हैं मैडमजी।”

तेज बुखार होने पर भी वह बहुत शांत थी। माया ने अपनी बात दोहराते हुए पूछा- 

“आपकी तबीयत ज्यादा खराब है, कहीं और देखा लें। उन्हें आने में देरी हो गई तो आपको मुश्किल होगी।... वैसे आप इन्हीं डॉक्टर साहिब को क्यों दिखाना चाहती है?” 

वह बहुत धीमे स्वर में बोली- "मैडमजी! आपके डॉक्टर साहिब ने आज तक मेरे से फीस नहीं ली है। वे जानते हैं... मेरे ऊपर समय की बहुत मार पड़ी है। मेरे आदमी का भी इलाज़ डॉक्टर साहिब ने ही किया है।  उन्हें पता है, कितना लंपट है वो।.. मैं मरते दम तक इन्हीं को दिखाऊँगी, किसी और को नहीं! आपके पति मेरे लिए भगवान हैं , भगवान। भगवान के दर्शन का इंतज़ार तो आदमी मरते दम तक करता है।”

एकाएक उसकी बातें सुनकर माया की आँखें नम हो आईं। जहाँ लोग अपने छोटे से छोटे किए को गिनाते हैं, वहाँ प्रफुल्ल ने उसे कभी नहीं बताया कि वो नि:शुल्क भी अपने मरीज़ों को देखते हैं। आज पहली बार किसी मरीज़ ने अपने भगवान से उसका साक्षात् परिचय कराया था।

2 comments:

Anonymous said...

बहुत सुंदर भावपूर्ण लघुकथा।बधाई । सुदर्शन रत्नाकर

Kuldeep Singh Bhati said...

बहुत सुंदर। भाव प्रवण