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Aug 14, 2013

उदंती.com ,अगस्त 2013

 वर्ष 6, अंक- 1

आप अपने विचारों की चोरी की फिक्र न करें। अगर आपका आइडिया वास्तव में काम का है तो विश्वास रखें – उसे लोगों के गले से नीचे उतारने में आपको वास्तव में बहुत मशक्कत करनी होगी।

                         - हॉवर्ड आईकेन


  अनकही: ये कैसा मध्याह्न भोजन है... - डॉ. रत्ना वर्मा
  चिंतन: हम अपनी मानसिकता के गुलाम है? - अनिता ललित
  स्वामी विवेकानंद: दुखियों का दर्द समझो
  दो ग़ज़लें: ऐसा हिन्दुस्तान मिले, गढ़ें नई तक़दीर - गिरीश पंकज
 संस्कृति: मितान बधई- छत्तीसगढ़ की...- डॉ. कौशलेन्द्र
 खोज: नींद में खलल और याददाश्त
 यादें: २८ अगस्त पूण्यतिथि: ओ जाने वाले हो सके तो...
 यात्रा संस्मरण: कच्छ के रन में, मांडवी बीच पर - प्रिया आनंद
 मेरे अनुभव: मैदान में खेल देखने का आनन्द - पल्लवी सक्सेना
 प्रेरकः योग्य शत्रु का सम्मान
 अनुसंधान: स्वाधीनता के साढ़े छह दशक और हमारा विज्ञान - चक्रेश जैन
 कालजयी कहानियाँ: काठ का सपना - गजानन माधव मुक्तिबोध
 हाइकु: बदलते सपने चूडिय़ों जैसे - ज्योत्स्ना प्रदीप              
 व्यंग्य: हम आजाद हैं? - डॉ. गोपाल बाबू शर्मा
 कविता: प्रिय बहना - मुरलीधर वैष्णव
 चार लघुकथाएँ: अनुत्तरित, मैल, घर की लक्ष्मी, उड़ान - सुदर्शन रत्नाकर
 पुस्तक: मन की वादियों में झरे हरसिंगार - डॉ. उर्मिला अग्रवाल
 आपके पत्र/ मेल बॉक्स
स्वतंत्रता दिवस: बापू ने नहीं मनाया आजादी का जश्न

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