1.
अपनी दो आँखों से देखा
कोई दृश्य मुझे
जितना सुंदर लगता है
उसका चार गुना
चार आँखों से
मुझे दो आँखें ढूंढ़नी हैं
चार टांगें होती हैं तो
रास्ता हँसते-बोलते
कट जाता है
और दृश्य भी
चार गुना नज़दीक
नज़र आता है
दो टांगों से
दूना दूर
चार गुना सुंदर दृश्य
2. कितना दूर कितना क़रीब
मैं मुफ़्त में वन देख रहा हूँ
या टिकट लेकर उपवन
या गलियों से होता हुआ
जा रहा हूँ किसी द्वार तक
या बैठा हूँ कहीं
थक-हारकर
मैं कितना दूर हूँ
लोगों से
मैं कितना क़रीब हूँ
लोगों के
मुझे कुछ इसका
अनुमान नहीं है
शहर अनजान नहीं है
और जगह भी
मैं जहाँ हूँ
सम्पर्कः एस 2/564 सिकरौल, वाराणसी 221002, मो. 9415295137


No comments:
Post a Comment