उदंती...के छह बरस का सफर...
- डॉ. रत्ना वर्मा
अगले माह सितम्बर 2014 को उदंती के सफर
को छह वर्ष पूरे हो जाएँगे... 2008 अगस्त से उदंती. com के नाम से
शुरू हुए इस सफर को जारी रखने में उंदती से निरंतर जुड़े रहने वाले
सम्माननीय रचनाकारों की मैं हृदय से आभारी हूँ, जिनके सहयोग के
बगैर यह सफर असंभव था। साथ ही उन असंख्य पाठकों का भी आभार जिनके सहयोग और
प्रोत्साहन से ही उदंती लगातार प्रकाशित हो पा रही है। विदेशों में बसे उन असंख्य हिन्दी- प्रेमी
लेखकों और पाठकों का भी आभार जिनकी वजह से उदंती की पहचान एक अंतरराष्ट्रीय वेब
पत्रिका www.udanti.com के रूप में
उभर कर सामने आई है।
सामाजिक सरोकारों और जीवन की मूलभूत समस्याओं तथा आवश्यकताओं
को लेकर प्रारंभ की गई इस पत्रिका के प्रत्येक अंक में आपने हर बार अलग- अलग रंग
देखे हैं। इन छह वर्षोँ में उदंती ने
विभिन्न सामाजिक विषयों पर कई महत्त्वपूर्ण विशेष अंक भी प्रकाशित किए हैं जैसे-
लोककला, पर्व- संस्कृति, पर्यावरण, प्रकृति, पर्यटन, धरोहर, छत्तीसगढ़ी
फिल्म कही देबे संदेश, कृषि, आपदा, बाल
साहित्य, आदि आदि... जिन्हें पाठकों से भरपूर सराहना मिली है।
मुझे खुशी है कि पिछले छह वर्ष से मैं सफलता पूर्वक इसका
संपादन कर रही हूँ। यही नहीं अपने आरंभिक काल 2008 अगस्त से वेब पेज www.udanti.com के रूप में
भी यह अब तक सफलता पूर्वक संचालित हो रही है। यद्यपि कई बार आर्थिक कठिनाईयों के
चलते पत्रिका के संयुक्तांक निकालने पड़े
हैं। छोटी पत्रिकाओं के इस संकट को आप भलि-भाँति समझ सकते हैं। यह बताते हुए मुझे दुःख हो रहा है कि उदंती में
रचनात्मक रूप से सहयोग करने वाले अपने सम्माननीय लेखकों को मैं मानदेय नहीं दे
पाती, फिर भी बगैर किसी शिकायत के मुझे देश ही नहीं विदेशों में बसे
हिन्दीभाषी लेखकों का भरपूर सहयोग मिलता रहा है।
मैं छत्तीसगढ़ शासन की भी शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने पत्रिका
जारी रखने में निरंतर अपना सहयोग प्रदान किया है। उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है
कि सामाजिक सरोकारों और जनजगरण के लिए निरंतर काम कर रही इस पत्रिका को इसी प्रकार
आगे भी उनका प्रोत्साहन तथा सहयोग मिलता रहेगा।
उदंती से जुड़े उन समस्त पाठकों, लेखकों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ जिन्होंने पत्रिका को इन ऊँचाइयों तक
पँहुचाने में मेरा साथ दिया। आगे भी यह साथ बना रहे, यही मंगल कामना है।
4 comments:
Utanti ki nirantarta bani rahe, yahi kamna hai.
Harihar Vaishnav
एक सर्वांगीण साहित्यिक पत्रिका के रूप में 'उदंती' हमेशा आकर्षित करती रही है...हार्दिक शुभकामनायें!
हार्दिक बधाई। उदन्ती की निरंतरता और साथ ही स्तरीयता प्रशंसा-योग्य है। निजी प्रयासों से निकलने वाली हिन्दी पत्रिकाओं के मामले में निरंतरता के साथ स्तरीयता बनाए रखने का योग दुर्लभ होता है। आपने आर्थिक माेर्चे पर जूझते हुए भी पत्रिका के मूल विचार को अक्षुण्ण रखा, इसके लिए बधाई की पात्र हैं। इस मौके पर पूरी टीम को बधाई और सहयोगी लेखकों-रचनाकारों का अभिनंदन।
- बालकृष्ण गुप्ता 'गुरु', खैरागढ़
उदंती को छ: साल पुरे होने पर हार्दिक बधाई। नित नए और समसामयिक विषयों पर पठनीय सामग्री देने से उदंती का हर अंक संग्रहणीय बना है। मुझे ख़ुशी है की मेरी रचनाएँ इसमें प्रकाशित हुई हैं। ऐसे पत्रिका के सतत प्रकाशन के लिए संपादक डाक्टर रत्ना वर्मा जी को ह्रदय से बधाई और शुभकामनायें।
प्रोफ़ेसर अश्विनी केशरवानी
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