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Aug 25, 2011

वो आसमाँ चाहिए


- देवी नागरानी

हमें अपनी हिंदी जबाँ चाहिये
सुनाए जो लोरी वो माँ चाहिये

कहा किसने सारा जहाँ चाहिये
हमें सिर्फ हिन्दोस्ताँ चाहिये

जहाँ हिंदी भाषा के महकें सुमन
वो सुंदर हमें गुलसिताँ चाहिये

जहाँ भिन्नता में भी हो एकता
मुझे एक ऐसा जहाँ चाहिये

मुहब्बत के बहती हों धारे जहाँ
वतन ऐसा जन्नत निशाँ चाहिये

तिरंगा हमारा हो ऊँचा जहाँ
निगाहों में वो आसमाँ चाहिये

खिले फूल भाषा के 'देवी' जहाँ
उसी बाग में आशियाँ चाहिये।

संपर्क: 9, कार्नर व्यू सोसाइटी, 15/33 रोड, बांद्रा,
मुंबई- 50, मो। 09867855751

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