
आपने जुड़वा भाईयों की फिल्में तो बहुत देखी होगी जिसमें दो भाई बचपन में बिछड़ या अलग हो जाते हैं, अगर हकीकत में ऐसा हो तो कैसे रहेगा। जी हां कश्मीर में दो बिछड़े जुड़वां भाई डेढ़ दशक बाद मिले। मात्र 10,000 रुपए में अस्पताल की एक नर्स ने जुड़वा बच्चों में से एक सरमद को नि:संतान दंपति को बेच दिया था।
सरमद का 17 वर्षो का यह दुखदायी सफर दिल को छू लेने वाला है। सरमद 2 अगस्त, 1994 को अपने माता- पिता से अलग हुआ था। इस वर्ष कक्षा 10 की परीक्षा में शामिल होने जा रहे सरमद को खरीदने वाले माता पिता के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और उसे खरीदने वाली महिला अपने पति का घर छोड़कर अपने माता- पिता के घर चली गई। सरमद ने बताया कि जब तक मुझे खरीदने वाली महिला के पिता जीवित रहे दिन अच्छे गुजरे। वर्ष 2004 में वह चल बसे तो उक्त महिला को वापस अपने पति के पास लौटना पड़ा। लेकिन उसका पति मुझे स्वीकार करने को तैयार न था। 'मुझे खरीदने वाले शख्स ने मुझसे कहा, जाओ और अपने असली माता- पिता को खोजो। उनके ऐसा कहने से मुझे जोर का झटका लगा।' इसके बाद मैंने लगभग तीन दिन बिना कुछ खाए- पीए एक मस्जिद में गुजारे। एक रिश्तेदार ने मुझे मेरे असली माता- पिता का नाम बताया और यह भी बताया कि वे कहां रहते हैं।
'मैं वहां गया और मेरी असली मां ने मुझे एक सेकेंड में ही पहचान लिया।' इसके बाद मैं अपने जुड़वां भाई से मिला। वह बिल्कुल मेरे जैसा ही दिखता था। उसके अलावा मेरे दो और भाई भी थे। सरमद की 42 वर्षीय मां अमीना को इस बात का भरोसा नहीं था कि उनका खोया हुआ बेटा उन्हें वापस मिलेगा। सरमद के पिता लतीफ मोहम्मद कहते हैं, 'मैं नहीं चाहता कि सरमद को भविष्य में और किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े। वह पहले ही काफी कुछ सह चुका है।'
और उसने अपने गार्डन को बना डाला जंगल
ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट की तरह नजर आ रहा यह जंगल हकीकत में एक घर का गार्डन है। ब्रिटेन के एंड्रू ब्रोगन 2004 में सफ्फॉक के हैंस्टीड गांव में रहने आए थे। फिर उन्होंने अपने बगीचे में कुछ अलग तरह के पेड़ लगाने शुरू किए। इसके बाद पेड़ लगाना उसका शौक बन गया और उन्होंने बगीचे को घने जंगल का रूप दे दिया। अपने

50 वर्षीय एंड्रू पहले लंदन में रहकर फुल टाइम इंश्योरेंस टेक्निशियन का काम करते थे। उनके इस नए शौक से परिवार वाले और दोस्त भी हैरान थे। यहां उन्होंने बड़ी पत्तियों वाले एरो बैंबू के पेड़ लगाए हैं, जो- 23 डिग्री तक और यूरोपियन फैन पाम जो- 10 डिग्री तक तापमान झेल सकते हैं। वे कहते हैं कि अब यहां चिडिय़ों की चहचहाहट और मक्खियों की भिनभिनाहट के बीच बैठकर चाय पीना मुझे बहुत अच्छा लगता है।
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