- पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)
- ऊँचे व्यक्तित्व की सबसे पहली पहचान है आचरण में सरलता, सादगी, गरिमा एवं गंभीरता. लेकिन होता है इसके सर्वथा विपरीत। पद, प्रतिष्ठा, पैसा उसके चरित्र में पतन का मार्ग का कारण भी बन जाता है, जब व्यक्तित्व पर गुरूर के बादल छा जाते हैं। सारे प्रसिद्ध व्यक्तियों में एक बात समान दिखाई देती है और वह है उनका निर्मल, निश्चल आचरण, अनासक्त कर्म योगी- सा व्यक्तित्व।
- डॉ. कलाम का नाम उन राष्ट्रपतियों में गिना जाता है जिनका सम्मान देस- परदेस सब जगह एक समान रहा। उनके सचिव पी. एम. नायर ने उनकी यादों को जिस प्रकार साझा किया है वह हमारी बहुत बड़ी अमानत है एवं उनकी पुस्तक “कलाम इफेक्ट” में संगृहीत किया गया है।
- प्रथम: उन्हें विदेश प्रवास पर राष्ट्राध्यक्षों द्वारा बहुमूल्य भेंट मिला करती थी। लौटने पर कलाम उनकी फोटोग्राफी कर तोषालय में जमा करवा दिया करते थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि राष्ट्रपति भवन से जाते समय एक पेंसिल तक अपने साथ नहीं ली।
- दूसरा : वर्ष 2002 में रमज़ान का अवसर आया तब तक राष्ट्रपति भवन में इफ़्तार के परंपरा थी। उन्होंने खर्च की तहकीकात की जो 22 लाख रुपये था। उन्होंने इफ़्तार पार्टी निरस्त करते हुए समस्त राशि अनाथालयों को भोजन, कपड़े आदि प्रदान करने में खर्च की। अनाथालय चुनने का कार्य भवन कर्मचारी समिति द्वारा किया गया। मजेदार बात तो यह थी कि इस कार्य हेतु अपने वेतन में से 1 लाख रुपये की राशि भी पूर्णतः गोपनीय तरीके से दान दी। वे एक सच्चे मुसलमान थे; लेकिन उनके दौर में वहाँ कभी इफ़्तार का आयोजन नहीं हुआ।
- तीसरा: वे ‘सर’ संस्कृति के विरुद्ध थे। एक बार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से चर्चा के दौरान जब उन्हें असहमति के विचार मिले, तो उन्होंने कतई बुरा नहीं माना। अवाक नायर ने बताया कि राष्ट्रपति ने कहा कि उनके विचार यदि सहमति सम्मत हुए तो स्वीकार भी करेंगे।
- चौथा: उन्होंने तमिलनाडु स्थित अपने गृहनगर से 50 रिश्तेदारों को दिल्ली दर्शन हेतु बुलाया। प्राइवेट बस सेवा का खर्च वहन किया। किसी सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं किया गया। भोजन सहित सारा खर्च उन्होंने उठाया। अनूठी बात तो यह थी कि उनके भाई जो उनके साथ ही ठहरे थे उसका खर्च भी कलाम उठाना चाहते थे। ऐसी सादगी इतिहास में कहाँ मिलेगी। उनकी नम्रता के सामने सारी कर्मचारी नतमस्तक थे।
- पाँचवाँ: विदाई के समय समस्त कर्मचारी सपरिवार उपस्थित थे सिवाय नायर के जिनकी पत्नी एक दुर्घटना के कारण आने में असमर्थ थी। अगले दिन सबने देखा कि नायर के घर पर राष्ट्रपति कलाम उनकी पत्नी का हालचाल जानने पधारे। नायर लिखते है इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा जब राष्ट्रपति ने किसी कर्मचारी के परिवार के प्रति इतना संवेदनशील उदाहरण प्रस्तुत किया हो।
- उपर्युक्त केवल कुछ उदाहरण ही हैं पर आज के ऊपरी दिखावे वाले समाज में हर एक के लिए आगत लंबे समय तक एक गहन संदेश के वाहक हैं। ऐसी शख़्सियत परिचय की नहीं; अपितु परिचय उनका मोहताज होता है।
आदरणीय सर,
ReplyDeleteअत्यंत प्रेरक लेख।
डॉ. अब्दुल कलाम साहब जैसा व्यक्तित्व युगों में देखने और सुनने को मिलता है।
धन्यवाद्
प्रिय बंधु महेश
Deleteआपके स्नेह एवं सद्भाव के प्रति हार्दिक आभार। सस्नेह
डाक्टर अब्दुल कलाम के बारे में संक्षिप्त में अनछुए पहलुओं को बहुत अच्छे से चित्रित किया
ReplyDeleteप्रेरक लेख
प्रिय मुकेश भाई
Deleteहार्दिक आभार सहित सादर
कमाल के कलाम❤️
ReplyDeleteकलाम सर जैसा कभी कोई ना हुआ ना होगा. विद्वता शालीनता ईमानदारी विनम्र एक कुशल वैज्ञानिक एवं सफल राष्ट्रपति.. अद्भुत बेजोड़ अविश्वसनीय 👌
प्रिय बंधु रजनीकांत
Deleteदेव स्वरूप इंसान हैं कलाम। हार्दिक आभार। सस्नेह
यही निष्काम सेवा हैl
ReplyDeleteआदरणीय
Deleteहार्दिक आभार सहित सादर
I got an opportunity to be in the drawing room of Respected Kalam Saheb in Rameswaram. I saw the shop of his brother upstairs. I have read राजेन्द्र अभिनंदन ग्रन्थ and very politely want to say the two presidents are रत्न हैं. बाजारू संस्कृति की अभ्यस्त पीढी कुछ सीख सके तो उत्तम जोशी जी को साधुवाद बहुत-बहुत उत्तम ज्ञान देते हैं Dr S
ReplyDeleteS.K.Agrawal Gwalior
प्रिय बंधु डॉ. श्रीकृष्ण अग्रवाल
Deleteसरलता सादगी सज्जनता की प्रतिमूर्ति रहे हैं दोनों। हार्दिक आभार सहित सादर
पिताश्री ने डॉ कलाम साहब के गुणों को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है । पिताश्री को सादर प्रणाम 🙏
ReplyDeleteप्रिय हेमंत
Deleteहार्दिक आभार। सस्नेह
प्रेरणादायक लेख!
ReplyDeleteडॉ कलाम जैसे राष्ट्रपति तो कोई हो ही नहीं सकते
ReplyDeleteमगर सिर्फ पता होना ही काफी नहीं होता बल्कि जो पता है उस को याद रखना भी आवश्यक होता है। और आप के ये लेख समय समय पर सही बातें याद दिलाते हैं जो एक तरह से मेरे लिए पथ प्रदर्शन का काम करता है।
इसलिए आप के लेख मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं सर
पथ प्रदर्शन के लिए सहृदय धन्यवाद।
विजेंद्र सिंह भदौरिया
प्रिय डॉ. विजेंद्र
Deleteयह आपका मेरे प्रति स्नेह है जो मनोबल में अभिवृद्धि का संसाधन स्वरूपी है। हार्दिक आभार सहित
Very Inspirational
ReplyDeleteसादर प्रणाम आदरणीय
ReplyDeleteभारत अब्दुल कलाम जैसे अनमोल रत्नों की उर्वरा मातृभूमि है,अनेक गौरवशाली इतिहास इसके दामन में बेलबूटों की तरह सजे हुए हैं।आपने डॉ कलाम साहब के अद्भुत व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हेतु जिन संस्मरणों का उल्लेख किया है उसे मैंने पहली बार पढ़ा है। उनके अनुकरणीय व्यक्तित्व की झलक से परिपूर्ण आलेख संग्रहणीय और अत्यंत रोचक है। पुनः आपकी लेखनी को प्रणाम करती हूं।
मांडवी
President Abdul Kalam ji was very caring about his people n once attended to his staff child’s program in school as the parent was too busy at his work n the president noticed this. A great personality who shall live in our hearts🙏🏼
ReplyDeleteआप ने अति सुंदर आलेख डा कलाम साहब की शख्सियत पर लिखा है। उनका आचरण और कर्तव्य निष्ठा सदैव अनुकरणीय रहे हैं और रहेंगे। सादर
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