मासिक वेब पत्रिका उदंती.com में आप नियमित पढ़ते हैं - शिक्षा • समाज • कला- संस्कृति • पर्यावरण आदि से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर आलेख, और साथ में अनकही • यात्रा वृतांत • संस्मरण • कहानी • कविता • व्यंग्य • लघुकथा • किताबें ... आपकी मौलिक रचनाओं का हमेशा स्वागत है।

Jul 7, 2024

कविताः कुछ पल

 
 - सुरभि डागर

कुछ पलों में 

बड़ा मुश्किल होता है 

भावों को शब्दों में पिरोना,

बिखर जाते हैं कई बार

हृदय तल में 

मानों धागे से मोती 

निकल दूर तक

छिटक रहे हों ।

अनेकों प्रयास किए

समेटने के

परन्तु  छूट ही जाते कुछ 

मोती और

तलाश  रहती है बस धागे में 

पिरोकर माला बनाने की

रह जाती है बस अधूरीसी कविता

कुछ गुम हुए 

मोतियों के बिना ।

1 comment:

  1. Anonymous12 July

    सुंदर कविता सुदर्शन रत्नाकर

    ReplyDelete