पृथ्वी और आकाश, जंगल
और मैदान, झीलें और नदियाँ, पहाड़ और
समुद्र, ये सभी बेहतरीन शिक्षक हैं और हमें इतना
कुछ सिखाते हैं, जितना हम किताबों सेनहीं सीख सकते। - जॉन लुब्बोक
उदंती का पावस विशेषांक बहुत अनोखा बन पड़ा है । वर्षा की शीतल फुहारों सी मस्त व सरस रचनाओं से सज गया है ये अंक । संपादक द्वय को ढेर बधाइयाँ अनोखे अंक के लिये । मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार ।
पावस ऋतु पर आधारित रचनाओं के बेहतर संयोजन के लिए उदंती परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteउदंती का पावस विशेषांक बहुत अनोखा बन पड़ा है । वर्षा की शीतल फुहारों सी मस्त व सरस रचनाओं से सज गया है ये अंक । संपादक द्वय को ढेर बधाइयाँ अनोखे अंक के लिये । मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अंक बना है उदंती का पावस पर। सभी रचनाकारों और संपादकों को बधाई। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संयोजन के लिए बधाई
ReplyDeleteप्रो अश्विनी केशरवानी