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Oct 1, 2025
उदंती.com, अक्टूबर 2025
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वर्ष 18, अंक- 3 मन की कंदीलें जलीं, भरने लगा उजास। अवसादी परिवेश में, लौट रही फिर आस।। - हर...
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अनकहीः अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा
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- डॉ. रत्ना वर्मा मधुवाता ऋतायते मधुक्षरन्ति सिन्धव: माध्वीन: सन्त्वोषधी:। मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिव रजः। मधु: द्यौरसंतु नः पिता। (ऋग...
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पर्व-संस्कृतिः समुद्र-मंथन से अवतरित लक्ष्मी के रूप में समाई प्रकृति
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- प्रमोद भार्गव समुद्र-मंथन के दौरान जिस स्थल से कल्पवृक्ष और अप्सराएँ मिलीं, उसी के निकट से महालक्ष्मी मिलीं। ये लक्ष्मी अनुपम सुंदरी थी...
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दो कविताएँ
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रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 1.दीप क्या है? दीप क्या है, सिर्फ़ मिट्टी से बना है यह उजालों की सही आराधना है। एक चादर तान ली काली गगन ने फि...
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पर्व- संस्कृतिः छत्तीसगढ़ की दीपावली में मिट्टी कला
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- डॉ. सुनीता वर्मा दीपावली सारे उत्तर भारत का एक प्रमुख पर्व है। छत्तीसगढ़ में भी यह सर्वत्र मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह लक्ष्मी पूजा...
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