उदंती.com

Jan 1, 2025

उदंती.com, जनवरी- 2025

वर्ष- 17, अंक- 6

अब खूँटी पर टाँग दे , नफ़रत भरी कमीज ।

बोना है नववर्ष में, मुस्कानों के बीज ॥

                - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’


इस अंक में

अनकहीः 'वृद्धाश्रम' बदलते समय की जरूरत... - डॉ. रत्ना वर्मा

पर्व - संस्कृतिः रती पर सनातन संस्कृति का कुंभ मेला प्रयागराज में - रविन्द्र गिन्नौरे

हाइबनः ब्रह्मताल सम्मिट पॉइण्ट  - भीकम सिंह

कविताः ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं  - रामधारीसिंह दिनकर

लोक- साहित्यः गिरधर के काव्य में लोक-जीवन - रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

जिन्हें हम भूल गएः 1. सवेरा हुआ है, 2. उठ जाग मुसाफिर... -  पं. वंशीधर शुक्ल

प्रदूषणः साँसों का संकट - जेन्नी शबनम

पर्व - संस्कृतिः लोहड़ी- जीने की उमंग जगाते ये त्यौहार - बलविन्दर बालम

विज्ञान राउंड अपः वर्ष 2024 अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान जगत - चक्रेश जैन

पर्यावरणः कब मिलेगी एकल उपयोगी प्लास्टिक से मुक्ति? - प्रमोद भार्गव

किताबेंः लघुकथा विधा का व्यापक विश्लेषण - रश्मि विभा त्रिपाठी

कहानीः इश्क का रंग ग्रे - डॉ. रंजना जायसवाल

दोहेः मन में रहे उजास... - सुशीला शील स्वयंसिद्धा  

कविताः अंतराल - भावना सक्सैना

उर्दू व्यंग्यः मुझे मेरे धोबी से बचाओ - मूल लेखक- मुजतबा हुसैन, अनुवाद- अखतर अली

लघुकथाः जिम्मेदारी - अनिता मंडा

लघुकथाः लूट - हरीश करमचन्दाणी

कविताः रिश्ते बोनसाई नहीं बनते  - मंजु मिश्रा

जीवन दर्शनः निये उत्साह का कारण - विजय जोशी 

15 comments:

  1. एक सार्थक अंक के लिए बहुत बधाई

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार प्रियंका जी।

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  2. Anonymous03 January

    एक बेहतरीन अंक हेतु बधाई स्वीकारें रत्ना जी। आपका यह कहना एकदम सही है किसमाज की मूल, परंपराएँ और मान्यताएँ समय के साथ बदली हैं, आज संयुक्त परिवार और भी छोटे होकर एकल परिवार बन गए हैं, वृद्ध माता - पिता अक्सर अपने जीवन के इस दौर में अकेलापन महसूस करते हैं।

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    1. प्रतिक्रिया के लिए आपका शुक्रिया।यदि आप टिप्पणी लिखते समय बाजू में दिए गए बॉक्स को क्लिक करके साइन इन करें तो आपका नाम दिखेगा ।

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  3. पढ़ने योग्य व मार्गदर्शन देने वाला अंक। बधाई 🙏

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    1. आदरणीय हेमन्त जी,
      आपकी सराहना और शुभकामनाओं के लिए हृदय से धन्यवाद। यह प्रोत्साहन आगे भी और बेहतर अंक निकलने की प्रेरणा देता है। सादर।

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  4. शिवजी श्रीवास्तव04 January

    नव वर्ष के प्रथम अंक का स्वागत, हर अंक की भाँति स्तरीय अंक। बधाई 🙏

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार शिवजी।

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  5. आदरणीय डॉ. दीपेंद्र कमथान जी,
    आपकी गहन और भावपूर्ण टिप्पणी ने विषय की गंभीरता को नई गहराई दी है। मां-बाप की भूमिका और घर की महत्ता पर आपकी बात हृदयस्पर्शी और विचारोत्तेजक है।
    आपकी समर्पित सोच के लिए सादर आभार। सादर धन्यवाद।

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  6. जनवरी का यह अंक बेहतरीन है, आदरणीया रत्ना जी। सभी लेख, कविताएं, लघुकथाएं स्तरीय हैं। हार्दिक बधाई आपको।

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    1. सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद और आभार द्विवेदी जी।

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  7. अंक की संपूर्णता हर एक sinf को लिए हुए है , पठनीयता बनाये रख रही है ,

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    1. आपका हार्दिक आभार और धन्यवाद देवी नागरानी जी

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  8. एक बार फिर सभी सुंदर स्तंभों सहित बढ़िया ई पत्रिका की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। कविताओं की संख्या में कुछ वृद्धि की जा सकती है।

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  9. आभार और धन्यवाद सोनी जी। आपके बहुमूल्य सुझाव पर अवश्य विचार किया जाएगा। हमारी कोशिश रहती है कि हम पाठकों की पसंद का ध्यान रखें और पठनीय सामग्री प्रेषित करें।

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