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Feb 23, 2018
उदंती.com फ़रवरी 2018
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फ़रवरी
2018
द
श कूप समो वापी
,
दश वापी समो हृद:।
दश हृद सम: पुत्र:
,
दश पुत्र: समो द्रुम:॥
(
पाराशर ऋषि) -
(
दस कुओं के बराबर एक बावड़ी
,
दस बावड़ी के बराबर एक तालाब
,
दस तालाब के बराबर एक पुत्र
और दस पुत्रों के बराबर है एक वृक्ष)
अनकहीः
धीरे
-
धीरे बहती एक पतली सी उथली धारा
...
-
डॉ
.
रत्ना वर्मा
नई सोचः
पकौड़े और चाय में बहुत स्कोप है...
-डॉ. नीलम महेंद्र
प्रदूषणः
शुद्ध हवा के साथ घर भी सुन्दर
इतिहासः
अहमदाबाद अब विश्व धरोहर शहर
-जाहिद खान
राजिम कुम्भः
आस्था और सभ्यता का संगम
प्रेरकः
ज़िंदगी को मुश्किल बनाने वाले सात
...
चार कविताएँः
1. ले आये बगिया से... -
अनुभूति गुप्ता
सेहतः
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है झपकी
-डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
संस्मरणः
हर पल कुछ सिखाती है ज़िंदगी
-प्रियंका गुप्ता
कविताः
कच्चा प्रेम
–
पीहू
पाँच कविता
एँः
1.
आवारा सड़क पे...
-
डॉ
.
जया
'
नर्गिस
’
व्यंग्यः
लाइक
-
विनय कुमार पाठक
कविताः
सच्चे योद्धा की भाँति - बिभा कुमारी
परवरिशः
बच्चों के प्रति हमारी बढ़ती...
-ज्योतिर्मयी पंत
कहानीः
प्रदर्शन
- रचना
गौड़
'
भारती
’
पुस्तकः
कुछ अलग
-
थलग सी सफेद कागज
-
सुमित प्रताप सिंह
लोक कथाः
फलों का पेड़ बनने की कला
-
डॉ
.
अर्पिता अग्रवाल
जीवन दर्शनः
बटन बंद करने की योग्यता
-
विजय जोशी
सम्मानः
गिरीश पंकज को मिला 'व्यंग्यश्री’
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