वर्ष-12 अंक- 2
प्रकृति गति का उन्मेष है, तो संस्कृति उस गति की मर्यादा। संस्कृति का सामूहिक चेतना, शिष्टाचार और मनोभावों से मौलिक संबंध होता है। - जयशंकर प्रसाद
पर्व -त्योहार विशेष
अनकहीः प्रकृति से जुड़े हमारे पर्वोत्सव -डॉ. रत्ना वर्मा
हरेलीः किसानों के उत्सव का शुभारंभ
पोलाः नंदी बैल की पूजा का पर्व
तीजाः सुहाग की दार्घायु के लिए निर्जलाव्रत
नागपंचमीः खेतों के रक्षक देवता
बहुला चौथः गौ माता की सत्यनिष्ठा का व्रत
भोजलीः अच्छी फसल और मित्रता का पर्व
हलषष्ठीः संतान सुख की कामना का व्रत
कृष्ण जन्माष्टमीः विष्णु के आठवें अवतार का जन्म
(संकलन)
पर्यावरणः मूर्ति विसर्जन से प्रदूषित होते तालाब -रमेश कुमार
कविताः लौटते हुए तुम -सुदर्शन रत्नाकर
यादें- 100वाँ जन्मदिन मुबारक हो माझा -डॉ. जेन्नी शबनम
कहानीः उजास में - भावना सक्सैना
चोकाः रच ली मैंने फिर नई कविता -कमला निखुर्पा
लघुकथाः छूटा हुआ सामान -डॉ. शील कौशिक
प्रेरकः तीन संत
खान-पानः ...बच्चे सब्ज़ियाँ नहीं खाते -डॉ.विपुल कीर्ति शर्मा
जीवन दर्शनः गुरु पर करें गर्व -विजय जोशी
उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteThanks very very much Dear Hemant. So nice of You
Delete