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Jul 1, 2025

कविताः तोते

  - हरभगवान चावला

तोते पानी से भरे तालाब ढूँढ रहे हैं

कि तालाब के ऊपर से उड़ान भर सकें

तोते अमरूद के बाग़ ढूँढ रहे हैं

कि उन्हें पसंद हैं लाल गूदेदार अमरूद

तोते नीम के पेड़ ढूँढ रहे हैं

कि तपती दोपहरी में उन पर सुस्ता सकें

तोते बमों के धमाकों और बारूद की गंध से

डरे और चीख़ते हुए सब तरफ़ उड़ रहे हैं

वे ख़ुद गवाह हैं -

यहीं इसी दुनिया में हुआ करते थे

पानी से भरे तालाब

अमरूद के बाग़

और नीम के पेड़

बदहवास तोते अब बिजली के खंभों से

और इमारतों से टकराते हैं लगातार

तोते अब तेज़ी से कम हो रहे हैं दुनिया में।


2 comments:

  1. Anonymous02 July

    बहुत सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाएँ।
    -भीकम सिंह

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  2. बहुत सुंदर सृजन।

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