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Jun 1, 2025

कविताः ग्लोबल वार्मिंग

  -  डॉ. शिप्रा मिश्रा


विशिष्ट अतिथियों को 

सम्मान स्वरूप 

पौधे भेंट में दिये गए


पहले ने पौधे को 

अपने टेबिल पर

शीशे की जार में सजाया 

तीन दिन में पौधा मुरझा गया 


दूसरे ने पौधा बालकनी में लगाया 

पानी देने की फुर्सत नहीं मिली 

चौथे दिन वह भी मुरझा गया 


तीसरे ने हैंगिंग बास्केट के साथ 

बड़ी खूबसूरती से 

सेल्फी पोज देते 

फोटो सोशल मीडिया पर डाली

अगले दिन पौधा 

डस्टबिन में मिला 


चौथे ने घर की छत पर 

खूबसूरत सजीले गमले में 

पौधा लगाया 

और छोड़ दिया उसे

उसके हाल पर 


पाँचवे ने अपने

लॉन की क्यारी में 

पौधा रोपते हुए 

फोटो खिंचवाई 


महीने भर में सबके पौधे 

मुरझाए मिले


दीवार पर फोटो

सेल्फी पोज में 

अब भी टँगा था 


"ग्लोबल वार्मिंग से जंग 

जीत जाएँगे हम संग-संग"


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