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Aug 1, 2024

कविताः प्रेम और नमक

  -  सांत्वना श्रीकान्त








प्रेम और नमक

रूपक  हैं

दोनों का उपयोग किया गया

ज़रूरत के हिसाब से

‘स्वादानुसार’

तेज नमक से छाले हुए

और कम नमक बेस्वाद लगा

जब रिश्ते में फफूँद लगने की

आशंका हुई तो

नमक बढ़ा दिया गया।

और जब तृप्ति की अनुभूति हुई

खारापन बहुत बढ़ गया है

मानकर

अवहेलित कर दिया गया।

email - drsantwanapaysi276@gmail.com


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