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Jul 7, 2024

धरोहरः प्राचीन शहर हम्पी

  - अपर्णा विश्वनाथ 

अतिशयोक्ति नहीं होगी अगर भारत को ऐतिहासिक धरोहरों का कुंभ कहा जाए।

अतुल्य भारत के गौरवशाली इतिहास की आश्चर्यचकित कर देने वाली गाथाएँ भारत के कण- कण में रची बसी है। हरी भरी प्रकृति, इसकी विस्तृत बाहें, कलकल बहती नदियाँ और झरझर बहते झरने मानो भारत के सोने की चिड़ियाँ होने की दास्ताँ सुनाते हैं।

ऐसी ही एक समृद्धशाली इतिहास विशाल और विस्तृत हम्पी की भी है। जो आज के कर्नाटक राज्य में स्थित है।

इसके गौरवशाली और समृद्धशाली इतिहास की गाथा सदियों से अडिग यहाँ की पाँच-दस मंजिला जितनी ऊँची-ऊँची गोल चट्टानों के टीलें सुनाते हैं कि कभी तुंगभद्रा नदी के तट पर बसी हम्पी मध्यकालीन हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। 

वर्तमान में यह आंध्र प्रदेश राज्य की सीमा से समीप मध्य कर्नाटक के पूर्वी हिस्से में बसा है।

हम्पी तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित पत्थरों और असाधारण प्रकृति से से घिरा एक पवित्र शहर है। यहाँ लगभग पाँच सौ से अधिक मंदिरों की ख़ूबसूरत शृंखलाएँ है। इसलिए इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।

अपने समृद्ध धरोहरों एवं असंख्य आकर्षणों के चलते यह देश दुनिया के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है।

कभी किष्किन्धा कहलाने वाले कर्नाटक के बारे में जानते हैं और अपनी जानकारी में थोड़ा सा इज़ाफ़ा करते हैं।

कहते हैं ना, हमारे भारत का समृद्ध इतिहास हमारे शेष बचे मंदिरों में दिखाई देते हैं।

हम्पी विजयनगर हिन्दुओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। सन्1336 ई. में इस साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। 1509 से 1529 के बीच कृष्णदेव राय ने यहाँ शासन किया। विजयनगर साम्राज्य के अन्तर्गत कर्नाटक, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के राज्य आते थे। कृष्णदेव राय एक महान राजा थे। इनके बल बुद्धि और शासनकाल के अनेक प्रचलित किस्से हैं।

कृष्णदेव राय के दरबार में सलाहकार के रूप में पंडित चतुर तेनालीरामा को कौन नहीं जानता। नंदन और चंदामामा जैसे बाल पत्रिका बच्चों में खासा प्रचलित हुआ करती थी; क्योंकि उसमें नियमित रूप से तेनालीराम के मशहूर और पेट को गुदगुदाने वाले किस्से छपते थे। इन किस्से कहानियाँ के जरिए राजा कृष्णदेव राय के बारे में भी बच्चे जान लिया करते थे।

राज कृष्णदेव राय ने अपने शासनकाल में राज्य का काफी विस्तार किया और अधिकतर स्मारकों का निर्माण भी करवाया।

 वैसे हम्पी की सभी मंदिर अद्वितीय है लेकिन हम्पी के कुछ मन्दिर अद्भुत हैं- 

★विठ्ठल मन्दिर

निःसंदेह आश्चर्यचकित कर देनी वाली स्मारकों में से एक है। विठ्ठल मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।

इसमें मुख्य आकर्षण इसकी 56 खम्भों वाला रंगमंडप है। इन्हें संगीतमय खंभे के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इन खंभों को थपथपाने पर इनमें से संगीत की लहरियाँ निकलती है। 

★हम्पी रथ

दूसरे हॉल के पूर्वी हिस्से में अद्भुत और प्रसिद्ध शिला-रथ जिसे हम्पी रथ भी कहते हैं है। पत्थर का बना रथनुमा मन्दिर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित है। यह द्रविड़ वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। ग्रेनाइट पत्थर को तराशकर इसमें मंदिर बनाया गया। यह एक रथ के आकार में है। कहा जाता है कि इसके पहिये घूमते भी थे और वास्तव में रथ पत्थर के पहियों से चलता था। आश्चर्यचकित करने वाला तथ्य यह भी कि शिला रथ का हर हिस्सा खुल जाता था। 

लेकिन अब रथ को बचाने के लिए इसपर सीमेंट का लेप लगा दिया गया है। अब यह अपनी जगह स्थिर है। ना जाने हम्पी ऐसे और कितने रहस्यमय, विस्मयकारी स्मारकों से पटा पड़ा है।

1986 में यूनेस्को ने इस प्राचीन शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित कर संरक्षण में ले लिया है। 

★हम्पी वृक्ष

 हेमकूट मन्दिर परिसर में इस वयोवृद्ध वृक्ष को विठ्ठल वृक्ष/ रथ वृक्ष कहा जाता है। इसका नाम तेलुगु में नूर वरहालू ,हिन्दी में गुलचीन/ क्षीर चंपा, कन्नड़ा में देव कनागिले तथा अंग्रेजी नाम प्लूमेरिया है। इस पेड़ की उम्र 158 साल बताई जाती है। इस वैभवशाली पेड़ की विशालता देखते बनती है।

★विरूपाक्ष मन्दिर

 इसका निर्माण राजा कृष्णदेव राय ने 1509 में अपने राज्याभिषेक के समय बनवाया था और हम्पी शहर के भगवान विरूपाक्ष ( विष्णु) को समर्पित किया था। इसे पंपापटी मंदिर भी कहा जाता है। 

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