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Apr 1, 2024

. नवगीतः पानी की हर बूँद बचाने

  






-  सतीश उपाध्याय

भीतर की गूँज कह रही

 कोशिश  बारंबार करें 

पानी की हर बूँद बचाने 

खुद को हम तैयार करें ।

*

जल से ही रंगत रौनक है 

धरती की हरियाली 

उत्सव और उल्लास इसी से 

और ऋतुएँ मतवाली ।

*

तितली की है फुरगन इसमें

 बंद कली की शोख अदा

 रस, रंग, परिहास इसी से

 कोयल की है मधुर सदा।

*

 बूँद बद संचय करने की

 युक्ति सौ -सौ बार करें।।

*

नव पल्लव की रक्तिम आभा

बीजों की भी थिरकन है 

ऊँचे , पर्वत ,चट्टानों में

झीलों की भी सिहरन है।

*

हर क्यारी गुलजार इसी से

 खिले फूल में लाली है 

ये रखवाला रूप , गंध का 

हर बगिया का माली है।

*

बूँद तोड़ दे सारी जड़ता 

इन पर तो एतबार करें।।

सम्पर्कः स्वतंत्रता सेनानी कुटी, कृष्णा वार्ड, मनेंद्रगढ़ जिला एमसीबी, छत्तीसगढ़, 9300091563

1 comment:

  1. Anonymous09 April

    बहुत ही सुन्दर रचना 💐

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