उदंती.com

Aug 1, 2022

जब्तशुदा कविताएँ- भारत की आन


-रौशन

आन भारत की चली इसको बचा लो अब तो,

कौम के वास्ते दु: ख-दर्द उठा लो अब तो।

देश के वास्ते गर जेल भी जाना पड़े,

शौक से हथकड़ी कह दो कि लगाओ हमको।

है मुखालिफ जो कोई उसका न कुछ खौफ करो,

जेल का डर जो दिलों में है निकालो अब तो।

अब नहीं वक्त कि तकलीफ को महसूस करो,

बोझ जो सिर पर पड़े उसको उठा अब तो।

जो करो दिल से करो, मुल्क की खातिर करो,

बात सच कहता है 'रोशन' कि न टालो अब तो।

No comments:

Post a Comment