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Mar 1, 2022

कविता- होली की यादें


- डॉ. निशा महाराणा



बसंती बयार का 

नहीं छूटा है मोह

बचपन का वो फागुन

रंगों भरा स्नेह

 

कई रंगों से रँग जाता था

सफेद झक बनियान

चहूँ ओर हो जाती थी

रंगों की बौछार

 

फगुआ की गूँज

मालपुओं का स्वाद

हमजोली की टोली 

कोयल की मीठी बोली

 

मौसम की मस्ती

अपनों की बस्ती

महुए का मोह जाल

आम्रकुंजों पे लगे मौर

 

होली का हुड़दंग

चेहरे बदरंग

खुशी और उमंग

सखियों का संग

 

अतीत की परछाईं

होली की यादों को लेकर आई

सब कुछ वही है

वक्त बदल गया

अपनों से दूर क्या हुए

मौसम बदल गया ...।

सम्पर्कः प्राचार्य, सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय, मंदसौर- 458002 ( मध्यप्रदेश), nisha.smaharana@gmail.com

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