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Jul 24, 2017

पहन मेघमाला

पहन मेघमाला

 - रेखा रोहतगी
1
आषाढ़ी धूप
   बादलों से खेलती
     आँख- मिचौली
    कभी तो छुप जाती
    कभी निकल आती।
           2
    बरसे नैन
घन सघन सम
   मिलें न श्याम
होकर बावरिया
ढूँढूँ मैं चारों धाम।
           3
  बरखा आई
पहन मेघमाला
साजे झूम
बूँदों का ओढ़कर
पवन का चूनर।
      4
नित नवल
रूप धरें ये घन
चौकाएँ  मन
कभी दुग्ध -धवल
कभी कृष्ण सघन।

 0-9818903018

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