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May 16, 2014

दो बाल कविताएँ

काँटों में भी खिलो फूल-सा

डॉ .ज्योत्स्ना शर्मा



1.

मंत्र समय का मान भी जाओ 
श्रम से जीवन सफल बनाओ ।

चुनकर लाती तिनका-तिनका 
नन्हीं चिड़िया  नीड़ बनाती ,
फूल-कली से रस ले-ले कर 
मधुमक्खियाँ घट भर लाती ।

तुम भी अक्षर-अक्षर चुनकर ,
ज्ञान -सुधा सागर बन जाओ ।।

कृषक खेत में बहा पसीना 
सोने जैसी फसल उगाते ,
सर्दी ,गरमी ,बरखा सहते 
तब जाकर मीठा फल पाते ।

काँटों में भी खिलो फूल- सा ,
खुद महको ,जग को महकाओ ।।

शीतल नदिया कल-कल करती 
चट्टानों में भी बहती है ,
बाधाएँ आएँगीं , बढ़ना 
कभी न रुकना ही कहती है ।

पल-पल रहकर पल के प्रहरी 
बढ़ोसभी को साथ बढ़ाओ ,
मंत्र समय का मान भी जाओ 
श्रम से जीवन सफल बनाओ ।।

2
.

बात बताओ
बात बताओ चन्दा मामा,
कैसे पहनोगे पाजामा।
आऊँगा मैं पास तुम्हारे
फिर देखूँगा खूब नज़ारे।
कहाँ कातती बुढिय़ा दादी
पहने चमकीली- सी खादी।
तुम सूरज के छोटे भैया
बहकाती थीं मुझको मैया।
मैंने उनको भेद बताया
सूरज ने इनको चमकाया।।

सम्पर्क: टावर एच -604, प्रमुख हिल्सछरवडा रोडवापीजिलावलसाड (गुजरात) -396191,                                       Email- jyotsna.asharma@yahoo.co.in

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