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Jan 18, 2013

दो कविताएँ



गम के आँसू
- राम अवतार सचान
अगर जिन्दगी सिर्फ जज़बात होगी,
तो आँखों में सिर्फ बरसात होगी।
बह जाने दीजिये गम के आँसुओं को,
हल्का होगा दिल आँख तो नम होगी।
हम सभी है मुसाफिर यहाँ,
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।
आदि से अन्त तक स$फर ही स$फर है,
कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी।
कोई नही मह$फूज यहाँ वतन है हादसों का,
जवाब मिलता नहीं सिर्फ  बात ही बात होगी।
हादसा हो गया
जो न होना था वो हादसा हो गया
जि़न्दगी का मौत से रिश्ता हो गया
अब वक्त आ गया कुछ कर दिखाने का
सोया है जमीर जिनका उन्हें अब जगाने का
अच्छा होता हादसे से कुछ सबक लेते
कुछ नहीं करना था कुर्सी छोड़कर चल देते
आओ याद में उसके, पलकें भिगों लेते
उदास रात की तन्हाइयों मे रो लेते
दुखों का बोझ अकेले कम नहीं होता
तुम अगर मिलते तो लिपट कर रो लेते

संपर्क: 13/1, बलरामपुर हाउस, ममफोर्डगंज
इलाहाबाद -211002  मो. 9628216646

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