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Sep 10, 2011

आतंकवादी मंसूबे ताडऩे वाली मशीन?

फास्ट झूठ पकडऩे वाली मशीन की ही तरह काम करता है और व्यक्ति के विभिन्न शारीरिक लक्षणों को रिकॉर्ड करता है - जैसे हृदय गति, निगाहों की स्थिरता ताकि उसकी मानसिक स्थिति का अंदाज लगाया जा सके।
खबर है कि एक ऐसा यंत्र बनाया गया है जो यात्रियों के मन में पैदा हो रहे किसी भी दुर्भावना पूर्ण विचार को ताड़ लेगा। कहा जा रहा है कि इससे सुरक्षाकर्मियों को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कहीं आप कोई अपराध तो नहीं करने वाले हैं।
नेचर पत्रिका के मुताबिक यू.एस. घरेलू सुरक्षा विभाग द्वारा आतंकवादी मंसूबों का पूर्वाभास करने वाले कार्यक्रम फ्यूचर एट्रिब्यूट स्क्रीनिंग टेक्नॉलॉजी (फास्ट) का प्राथमिक परीक्षण भी पूरा हो गया है।
दरअसल फास्ट झूठ पकडऩे वाली मशीन की ही तरह काम करता है और व्यक्ति के विभिन्न शारीरिक लक्षणों को रिकॉर्ड करती है - जैसे हृदय गति, निगाहों की स्थिरता ताकि उसकी मानसिक स्थिति का अंदाज लगाया जा सके। मगर पोलीग्राफ टेस्ट और इसमें एक महत्त्वपूर्ण फर्क यह है कि फास्ट में व्यक्ति को स्पर्श किए बगैर ही ये सारी बातें जांचनी होती हैं, उदाहरण के लिए जब व्यक्ति हवाई अड्डे के गलियारे से गुजर रहा हो। इसमें व्यक्ति से पूछताछ की भी गुंजाइश नहीं है।
फिलहाल फास्ट का परीक्षण सिर्फ प्रयोगशाला में ही हुआ है और मैदानी परीक्षण का इंतजार है। परीक्षण का तरीका यह रहा है कि इस यंत्र के सामने से गुजरने से पहले कुछ व्यक्तियों को कहा जाता है कि वे कोई विध्वंसक कार्य करने की तैयारी करें। वैज्ञानिकों के सामने अहम सवाल यह है कि क्या इस तरह के व्यक्ति वास्तविक आतंकवादी के द्योतक हैं। इस बात को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही हैं कि जब लोगों को पता होगा कि ऐसा कोई यंत्र काम कर रहा है तो उनका व्यवहार बदल जाएगा। घरेलू सुरक्षा विभाग का कहना है कि प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों में इस यंत्र की सत्यता 70 प्रतिशत आंकी गई है।
इस संदर्भ में कई वैज्ञानिकों ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या वास्तव में दुर्भावना पूर्ण मंसूबों का कोई अनूठा लक्षण होता है जिसे आप यात्रा के दौरान होने वाली सामान्य अफरा- तफरी से अलग करके देख सकें। देखा गया है कि यदि आप किसी के फिंगरपिं्रट भी लेना चाहें तो व्यक्ति की धड़कन बढ़ जाती है।
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइन्टिस्ट के स्टीवन आफ्टरगुड का मत है कि इस टेस्ट से कुछ हासिल नहीं होगा, सिवाय इसके कि आपको खतरे की मिथ्या घंटियां सुनाई पड़ती रहेंगी, जिनके चलते आम नागरिकों के लिए यात्रा करना एक दुखदायी अनुभव बन जाएगा। उनके हिसाब से यह मान्यता ही गलत है कि दुर्भावना का कोई शारीरिक या कार्यिकीय पहचान चिन्ह होता है। इस तथ्य के मद्देनजर यह कवायद एक नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं है।

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