1. आपके विचार केवल आपके विचार हैं और आपके पास पूरी शक्ति और साहस है उन पर न केवल नियंत्रण की बल्कि सोच को स्वयं अनुसार ढालने की।
2. हम क्यों कष्ट भोगते हैं। मात्र इसलिये कि हम दूसरों यह अधिकार दे देते हैं कि वे हमें न केवल, नियंत्रित कर सकें अपितु उससे भी आगे बढ़कर कि हम कैसा सोचते तथा अनुभव करते हैं।
3. याद रखिए अपने जीवन की कहानी के आप ही सृजनकर्ता उर्फ़ लेखक हैं। औरों को इसे नष्ट करने का अधिकार मत दीजिए।
4. एक बार सोचकर देखिए कोई अन्य आपको पीड़ा नहीं पहुँचा सकता, जितना आपके अपने विचार।
5. यह भी कि कोई आपके घाव नहीं भर सकता, जितना आपके विचार।
6. आप दूसरों में यह परिवर्तन नहीं कर सकते कि वे आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं; किंतु यह अवश्य कर सकते हैं कि ऐसे अवसरों पर हम कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं ।
7. क्षमा: लोगों को इस बात के लिए मत क्षमा कीजिए कि वे इसके लायक हैं, वरन् इसलिए कि आप जीवन में आनंद के हकदार हैं।
8. हर सुबह जब उठें, तो यह और केवल यह सोचें :
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्
(सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दीजिए!)
निष्कर्ष : इस तरह अपनी हर सुबह सकारात्मक सोच को मन, मस्तिष्क एवं हृदय में समाहित करते हुए कीजिए। याद रखिए- आज की भाषा में शरीर तो केवल हार्डवेयर (Hardware) है, जबकि आपका सोच सॉफ्टवेयर (Software) उसे संचालित करता है।
सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023,
मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com
सबसे बड़ी आज की समस्या यही है कि हम अपने विचारों पर ध्यान ही नहीं देते. अपनी समस्याओं में हम इतने उलझ गए हैं कि उससे आगे कुछ नहीं दिखताl केवल रोज 10-15 मिनट भी यदि सब लोग स्वयं के विचारों पर समीक्षा के रूप में ध्यान दें तो आधी से अधिक समस्याएँ हल हो जाएँगीं l अद्भुत!
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार । अपनी सोच, अपने विचारों पर सोचना भी आवश्यक है ।👍🏼सुदर्शन रत्नाकर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार।
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteAapke vicharon se bahut kuchh sikhane Ko milta Hai
ReplyDeleteआदरणीय जोशी सर, आपके द्वारा लिखा हुआ सारगर्भित लेख जीवन को सही तरह से जीने की कला सिखाता है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद इस लेख के लिए।
ReplyDeleteVery true. We are what we think.... And the only thing is that we can only control our thoughts....
ReplyDeleteExcellent thoughts Sir
ReplyDeleteExcellent, highly positive and motivating thoughts
ReplyDeleteDr S K AGRAWAL, GWALIOR
ReplyDeleteगागर में सागर, सूत्र रूप में सार, अद्भुत तकनीक
ReplyDeleteसाधुवाद प्रिय मित्र जोशी जी का
सर्वोत्तम जीवन दर्शन
ReplyDeleteडी सी भावसार
बहुत सुंदर विचार । अपनी सोच, अपने विचारों पर सोचना भी आवश्यक है ।👍🏼
ReplyDeleteइंसान को अपने सुख से ज़्यादा दूसरों के दुख में मज़ा आता है।चार दिनों के इस जीवन में इंसान को अपने जीवनशैली पर ध्यान देना चाहिए।किसी की जीवनशैली को आप बदल नहीं सकते।चल अकेला,चल अकेला,चल अकेला।तेरा मेला पीछे छूटा राही,चल अकेला।
ReplyDeleteपिताश्री हमेशा कि तरह अप्रतिम लेख 🙏 सादर प्रणाम 🙏
ReplyDeleteआदरणीय सर,
ReplyDeleteअत्यंत प्रेरक लेख।
"सकारात्मक सोच" द्वारा ही अपना और अन्य लोगों का जीवन सुखमय बनाया जा सकता है।
परहित सरस धर्म नहीं भाई पर पीड़ा सब नहीं अधिमाई। व्यक्ति अपने विचारों के प्रकाश से समाज को उत्साहित कर सकता है। निराशा जीवन का अंत है।
ReplyDeleteजीवन का सार संक्षेप में 🙏
ReplyDeleteबधाई आदरणीय सर 🌹💐🌹💐
जीवन का सार संक्षेप में 🙏
ReplyDeleteबधाई आदरणीय सर 🌹💐🌹💐
Reply
🙏🙏🙏सकारात्मक विचार हमारी मानसिकता, भावनाओं और कार्यों को प्रभावित करके हमारी वास्तविकता को आकार देने की शक्ति रखते हैं। एक सकारात्मक दृष्टिकोण अवसरों को आकर्षित करता है, रिश्तों को मजबूत करता है और समस्या-समाधान क्षमताओं को बढ़ाता है। अंततः, हमारे विचार हमारे अनुभवों का निर्माण करते हैं - हम जो सोचते हैं, वही बन जाते हैं।
ReplyDelete"विचार से विजय " अति उत्तम 👌
ReplyDeleteHow w’fully organised relatable points. Our attitude n thoughts - the software part has to be programmed well to follow…… the human hardwired machine can run well then. We all know how much it takes to develop a software😊
ReplyDeleteIn Budhism it’s called Kosen rufu- praying for everyone’s happiness n trying to manifest good karma
ReplyDeleteसादर प्रणाम आदरणीय
ReplyDeleteसुख,शांति एवं आनंद पूर्वक जीवन जीने के लिए स्वयं के विचारों का परिमार्जन तथा आत्मशुद्धि अत्यंत आवश्यक है।हम दूसरे को नहीं बदल सकते परंतु स्वयं का बदलाव अपने हाथ में है।आत्मिक आभार आदरणीय सदैव की तरह नई ऊर्जा से परिपूर्ण सीख हेतु।
Thought provoking, stress free journey is possible by keeping the hardware and software free from all the negativity
ReplyDeleteभाई साहब, उपरोक्त वर्णित श्लोक सर्वे भवन्तु सुखिनः....बहुत ही सार गर्भित श्लोक हैं, इसकी व्याख्या आपने इतनी सुंदरता से की हैं कि मन को आनन्दित करने का इससे अच्छा कोई उपाय हो ही नही सकता, बहुत ही उपयोगी लेख, अतिसुन्दर, मुझे आपका छोटा भाई होने पर गर्व हैं।
ReplyDeleteसादर प्रणाम।