- विजय जोशी , पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)
उठ गए दुनिया से लेकिन एक दुनिया हो गए
बुलबुले पानी के थे फूटे तो दरिया हो गए
सिद्धांतवादी एवं परोपकारी पारसी समुदाय के लिए मेरे मन में गहरी श्रद्धा है। आज से लगभग पन्द्रह दशक पूर्व जब ईरान से चलकर यह कौम भारत आई, तो नाव गुजरात के तट पर लगी और जब शरण हेतु संदेश भेजा, तो राजा ने इन्हें दूध से पूरा भरा गिलास भिजवा दिया, यानी कोई गुंजाइश नहीं। तब एक बुज़ुर्ग ने उसे चीनी मिलाकर लौटाया कि बगैर अतिरिक्त जगह के हम दूध में शकर की मिठास सदृश मिल-जुलकर रहेंगे।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि उस दौर में काठियावाड़ नरेश को दिए गए 3 वचनों पर वे आज भी कायम हैं :
पहला- धर्म परिवर्तन नहीं करेंगे। सो आज तक हर पारसी जन्मजात पारसी ही है परिवर्तित नहीं।
दूसरा- यहाँ की भाषा अंगीकार करेंगे। सो आज तक हर पारसी की मातृभाषा भी गुजराती ही है।
तीसरा- देश के योगदान के प्रति समर्पण। सो देख लीजिए जे.आर.डी. टाटा से लेकर रतन टाटा तक इस समुदाय का योगदान। हिन्दू- मुसलमान जब मंदिर- मस्जिद बना रहे थे, टाटा परिवार ने प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान, कैंसर चिकित्सा जैसे मानवता समर्पित प्रोजेक्ट को धरती पर उतारा।
उद्देश्य स्टेटमेंट :
मानवता को समर्पित मूल्य इनकी आत्मा में रचे- बसे हैं, जन्मजात। इन्होंने अपनी कम्पनियों की इमारतों को व्यावसायिकता के बजाय मानवता आधारित मूल्यों की ठोस नींव पर खड़ा किया। टाटा ने अपने उद्देश्यों को दृष्टि में रख इस तरह उकेरते हुए स्थापित किया है
टी. (T ) : विश्वास (Trust)
ए. (A) : मानसिकता (Attitude)
टी. (T ) : प्रतिभा (Talent)
ए. (A) : क्षमता (Aptitude)
जे. आर. डी. टाटा ने जिन मूल्यों की आधारशिला रखी, रतन टाटा ने उसे उस इमारत का आकार दिया, जिसने मानवता को सुख, संतोष की छाया प्रदान की। देश एवं मानवीयता के प्रति योगदान के रतन टाटा के अनेकानेक उदाहरण हैं। सबका उल्लेख असंभव है, सो केवल कुछ के दिग्दर्शन का विनम्र प्रयास -
1. होटल ताज :
26/11 के आतंकी आक्रमण का मुख्य केंद्र था होटल ताज, जिसमें अनेक विदेशी मेहमान विद्यमान थे। तब टाटा कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर, जब तक आखिरी अतिथि को सुरक्षित बाहर नहीं निकाल लिया, तब तक एक ने भी खुद की सुरक्षा के लिए एक बार भी नहीं सोचा। ऐसे कठिनतम समय में ऐसी अनोखी अद्भुत कर्तव्यपरायणता की कोई दूसरी मिसाल नहीं, सो इसे हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम में केस स्टडी के रूप में संगृहीत कर लिया। और जब इस विषय पर टाटा प्रबंधन से बात की गई तो पता चला :
-ताज समूह कर्मचारी चयन हेतु उन छोटे- छोटे शहरों एवं कस्बों पर ध्यान केंद्रित करता है, जहाँ पारंपरिक संस्कृति आज भी सुरक्षित है।
- चयन में टॉपर्स के बजाय उन छात्रों को वरीयता दी जाती है, जो अपने माता, पिता, गुरुओं का सम्मान करते हैं।
- चयन उपरांत हर एक को यह पाठ कंठस्थ करवाया जाता है कि वे टाटा कर्मचारी मात्र न होकर मैनेजमेंट के सामने मेहमानों के राजदूत हैं।
2. मेक इन इंडिया :
रतन टाटा ने अपने जीवन में हर इंसान को जाति, भाषा, धर्म के परे जाकर मात्र इंसान समझा और सपने में भी कभी अपमानित नहीं किया।
1991 में अध्यक्ष बनते ही उन्होंने अपने सपने टाटा इंडिका कार को साकार किया, किंतु अपेक्षित बिक्री नहीं रही। 1999 में फोर्ड कंपनी के अध्यक्ष हेनरी फोर्ड ने कंपनी खरीदी में रुचि जाहिर करते हुए उन्हें डेट्राइट आमंत्रित करते हुए बैठक में अपमानित किया, तो रतन टाटा मीटिंग अधूरी छोड़कर तुरंत मुंबई रवाना हो गए, इस प्रण के साथ कि वे खुद की कार को ब्रांड स्थापित करेंगे।
उनका प्रण परवान चढ़ा तथा स्थापित हो गया। इस बीच फोर्ड कंपनी दिवालिया हो गई तथा टाटा ने लैंड रोवर एवं जैगुआर खरीद लेने की पेशकश की। अपने प्रयोजन को अमली जामा पहनाने हेतु हेनरी फोर्ड भारत आए, तो सबको लगा अपने अपमान का बदला लेने हेतु यही उचित अवसर है। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। रतन टाटा ने उन्हें पूरा सम्मान देते हुए डील संपन्न की।
यही जज़्बा और लगन तो चाहिए मेक- इन- इंडिया मिशन को सफलता के शिखर तक ले जाने के लिए।
3. संवेदनशीलता :
साथियों के प्रति स्नेह, सदाशय, समर्पण के तो अनेक मर्मस्पर्शी प्रसंग हैं। टाटा मोटर के प्रमुख सुमंत मूलगाँवकर थे। प्रबंधन के उच्च अधिकारियों का लंच 5 सितारा होटल में हुआ करता था, जिसमें मूलगाँवकर सदा अनुपस्थित पाए जाते थे। एक दिन जब उनकी खोज की गई तो पता चला कि वे तो उन पलों में ढाबों में पहुँचकर वाहन चालकों से टाटा ट्रक की विशेषताओं एवं कमियों पर विमर्श किया करते थे तथा सुधार हेतु उनकी राय लिया करते थे। परिणाम स्पष्ट था: इन्हीं सुझावों के आधार पर जब सुधार हुआ, तो टाटा वाहन गाड़ी ड्राइवरों की पहली पसंद बन उभरे।
अब वह बात आती है, जो सबसे मार्मिक, हृदयस्पर्शी एवं उपकार के प्रतिदान की है, जो विश्व स्तर पर संवेदनशीलता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है और वह यह कि टाटा समूह ने तुरंत ही सुमंत मूलगांवकर (Sumant Moolagaonkar) के नाम के दो प्रथम अक्षर पर अपने ब्रांड का नाम किया सूमो (Sumo)
4. सेना के प्रति सम्मान :
यह प्रसंग भारतीय सेना के एक उच्च अधिकारी ने साझा किया, जो गणतंत्र दिवस परेड हेतु टाटा समूह के दिल्ली स्थित होटल में ठहरे थे। शाम को उन्होंने अपनी ड्रेस की इस्तरी हेतु जब इच्छा जाहिर की, तो तुरत- फुरत एक व्यक्ति ने उपस्थित होकर पहले तो उन्हें सेल्यूट किया, फिर पैर छुए तथा ड्रेस लेते हुए सेल्फी के लिये गुज़ारिश की। रात 9 बजे उन्हें रिस्पेशन मेज से रात्रि- भोज हेतु आमंत्रित किया गया और जब वे वहाँ पहुँचे, तो विस्मित होकर रह गए। सारे स्टाफ ने करतल ध्वनि के साथ एक गुलदस्ते के साथ उनका स्वागत किया।
अगले दिन तो अल्लसुबह उन्हें राष्ट्रपति भवन ले जाने के लिए बी.एम.डब्ल्यू. कार खड़ी थी। अंतिम दिवस भुगतान हेतु रिसेप्शन पर पहुँचे, तो पता चला कि वे होटल के विशिष्ट अतिथि हैं, सो कोई भुगतान नहीं। पूछने पर बताया गया: आप हमारे देश की रक्षा करते हैं, सो हमारे बेहद खास मेहमान हैं।
फील्ड में वापिस लौटने पर उन्हें ताज में ठहरने हेतु धन्यवाद सहित एक मेल मिला, जिसमें लिखा था कि ताज समूह द्वारा देश सेवा में रत सैन्य कर्मियों हेतु उनके होटल में ठहरने पर व्यावसायिक नहीं; अपितु सामर्थ्य के अनुसार राशि ही ली जाती है। है कोई अन्य ऐसा उदाहरण!
5. टाइटन आई प्लस :
भारी वाहनों के मुख्य निर्माता होने के नाते टाटा ने यह पाया कि माल मंज़िल तक शीघ्रतापूर्वक पहुँचाने तथा काम की धुन में ड्राइवर समूह अपनी नेत्र- ज्योति की उपेक्षा करते हैं। सो टाटा समूह ने आगे बढ़कर उनके यात्रा मार्ग पर निःशुल्क नेत्र परीक्षण का तरीका ईजाद किया। ढाबों पर खाद्य सामग्री की सूची अलग - अलग प्रकार के अक्षर अनुपात द्वारा चश्मों की जरूरत एवं प्रदायगी हेतु। चश्मा निःशुल्क नेत्र ज्योति की रक्षा तथा सुरक्षा हेतु। यही है गांधी के शब्दों में समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के हित में उठाया गया कदम।
6. विमानन उद्योग :
हम सबको मालूम है कि भारतीय उड़ान सेवा का आगाज़ जे.आर.डी. टाटा के सौजन्य से हुआ था। वे एक बेहद कुशल पायलट एवं भारत में वायु सेवा के जनक थे। उन्हीं से प्रेरणा लेकर ‘एयर इंडिया’ की स्थापना की गई, जो लचर सरकारी व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।
अंततः रतन टाटा को ही आगे आना पड़ा, जिन्होंने इसे घाटे सहित खरीदा। अब यह धीरे - धीरे फिर से उभर रही है। यहाँ विशेष बात यह है कोई अन्य खासतौर पर पारिवारिक विरासत समर्पित राजनीतिज्ञ परिवार होता, तो इस एयर लाइन को परिवार के सदस्य का नाम देता, लेकिन टाटा ने ऐसा न करते हुए भारत सरकार द्वारा प्रदत्त ‘एयर इंडिया’ नाम को पूरा सम्मान देते हुए बरकरार रखा है। कितना उदार दिल!
7. कोरोना काल :
कोरोना मानवीय इतिहास की भीषणतम त्रासदी के साथ उपस्थित हुआ। साक्षात् यमराज मानव समूह के समक्ष ले जाने हेतु उपस्थित थे। सब घरों में दुबके। सड़कों पर सन्नाटा। कोई किसी का नहीं, सिर्फ डॉक्टर समूह के, जो निरंतर पूरे प्राणपण से जुटे थे सबको बचाने के लिए। काम, घर, विश्राम सब केवल अस्पताल। इस कठिनतम परिस्थिति में कैसे जिएँ!
जानकर आश्चर्य होगा कि उन पलों में न केवल डॉक्टर समुदाय बल्कि साथी छात्र, पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए भी मुंबई में टाटा प्रबंधन द्वारा होटल ताज से निःशुल्क गरमागरम भोजन- सामग्री की निरंतरता सुनिश्चित की गई।
8. दीन के दर्द का निवारण :
टाटा स्टील के चेयरमैन रतन टाटा ने जमशेदपुर में कंपनी के कर्मचारियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में एक कर्मचारी ने डरते - डरते एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मसला उठाया। उसने बताया कि कर्मचारियों के शौचालयों की स्थिति बहुत खराब और अस्वच्छ है, जबकि अधिकारियों के शौचालय हमेशा साफ - सुथरे रहते हैं।
चेयरमैन महोदय ने एक वरिष्ठ अधिकारी से पूछा : इस स्थिति को सुधारने में कितना समय लगेगा?
अधिकारी ने जवाब दिया : इसके लिए एक महीना काफी होगा।
इस पर चेयरमैन ने कहा : मैं इसे एक दिन में कर देता हूँ। बढ़ई को बुलाओ।
अगले दिन बढ़ई आया, तो चेयरमैन ने उसे दोनों शौचालयों के ऊपर लगे बोर्ड हटाने और उनकी जगह बदलने को कहा। अधिकारियों के शौचालय पर ‘कर्मचारियों के लिए’ और कर्मचारियों के शौचालय पर ‘अधिकारियों के लिए’ का बोर्ड लगा दिया गया। साथ ही उन्होंने हर पंद्रह दिन में इन बोर्डों को बदलने का निर्देश दिया।
और क्या हुआ? अगले तीन दिनों में दोनों शौचालय बेहद साफ हो गए!
इससे हमें ये सीख मिलती है कि ‘नेतृत्व’ हमेशा पद से ऊपर होता है। समस्याओं को पहचानने के लिए तार्किक सोच और उन्हें हल करने के लिए रचनात्मक सोच की जरूरत होती है। यह प्रसंग बताता है कि कैसे रतन टाटा ने एक साधारण समस्या को एक रचनात्मक तरीके से हल किया। उन्होंने सिर्फ बोर्ड बदलकर लोगों की मानसिकता बदली और शौचालयों की स्वच्छता में सुधार किया। नेतृत्व का मतलब सिर्फ आदेश देना नहीं होता, बल्कि समस्याओं के मूल कारण को समझना और उन्हें रचनात्मक तरीके से हल करना होता है।
रतन टाटा का पशुओं से प्रेम भी अद्भुत था। इसीलिए वे डॉग लवर भी कहलाए। कुत्तों से तो उनका प्रेम इतना अधिक था कि होटल ताज के दरवाजे कुत्तों के लिए खोल दिये गए थे।
बात वर्ष 2018 की है। उनके परोपकारी कार्यों की सुगंध पूरे संसार में पहुँच चुकी थी। तब ब्रिटेन के शाही परिवार की ओर से प्रिंस चार्ल्स ने उन्हें “लाइफटाइम अचीवमेंट” अवार्ड से सम्मानित करने हेतु ब्रिटेन आमंत्रित किया। वे राजी भी हो गए। किंतु विदाई के पलों में उनके दो पालतू कुत्तों टैंगो एवं टीटो में से एक बीमार पड़ गया तथा उनके साथ रहने के लिए टाटा ने समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया।
सब यह जानकर हैरान रह गए कि टाटा ने शाही सम्मान के बजाय एक कुत्ते को प्राथमिकता दी। अनेकों के आग्रह के बावजूद उन्होंने अपना मन नहीं बदला।
और जब प्रिंस चार्ल्स को कारण पता चला, तो उन्होंने टाटा की सराहना करते हुए कहा : वे एक अद्भुत व्यक्ति हैं। उनके आदर्शों के कारण ही आज टाटा समूह सफल और स्थापित है।
उन्हींके मार्ग निर्देशन में जून, 2024 को मुंबई महालक्ष्मी में टाटा ट्रस्ट के लघु पशु चिकित्सा अस्पताल का उद्घाटन हुआ।
है न आज की आपाधापी और लाभ- हानि युक्त इस दौर में दिल को गहराई तक छू जानेवाली विचित्र किंतु सत्य बात।
10. रतन टाटा के अंतिम संदेश :
1. पहला यह कि दयालुता का कार्य उनके लिए करें जो आपके लिये कुछ भी नहीं कर सकते, लौटाना तो बहुत दूर की बात।
2. कोई भी सेवा कार्य प्रतिदान के आशा के बगैर करें।
3. अपने शब्द यानी वचन का सम्मान करें। अपनी बात से पलटें नहीं, चाहे कितनी भी कठिनाई हो। दिया गया वचन निभाना ही है।
निष्कर्ष : ये केवल कुछ ही उदाहरण हैं, रतन टाटा के देश के प्रति लगन, निष्ठा और समर्पण के। भावी इतिहास एक दिन अवश्य कहेगा कि इस धरती पर कभी रतन टाटा जैसे व्यक्तित्व भी पधारे थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन देश एवं मानवता को समर्पित कर दिया था। वस्तुत: वे व्यक्ति नहीं, विचार थे और विचार कभी मरा नहीं करते। चिता ने जो जलाया वह था उनका पार्थिव शरीर, पर जो अमर रहेगा, वह है उनका व्यक्तित्व एवं विचार।
मौत वो हो जिस पर जमाना करे अफसोस,
वरना तो इस दुनिया में आते हैं सभी जाने के लिए।
सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023, मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com
गागर मै सागर समाहित करने की युक्ति मे चतुर आपने टाटा जी के जीवन से जुड़े हर पहलू को उजागर कर दिया है। वास्तव मे उनके बारे मे जितना भी कहा जाय कम लगेगा। आपका आंकलन बिल्कुल सही है कि वो एक इतिहास पुरुष बन कर अमर हो गये है। सादर...
ReplyDeleteप्रिय राजेश भाई
Deleteसही कहा आपने। जितना भी कहें कम है इनके बारे में। बहुत सटीक आकलन किया है आपने। हार्दिक आभार सहित सादर
Great article sirji. TATA is a non. Vanishable history. Remains with humanity for social cause forever
ReplyDeleteA very detail and insightful analysis of the great personality Ratan Tata. It brings out his greatness!
ReplyDeleteS N Roy
Thanks very very much sir for the encouragement.
DeleteKind regards
It is very difficult to capture in a page all the virtues of Ratan Tata. You did a great job by articulating the contributions of the great person.
DeleteS N Roy
आदरणीय सर,
ReplyDeleteअत्यंत ही सुंदर लेख।
अन्य उद्योगपतियों के लिए, टाटा एक प्रेरणास्त्रोत है।
प्रिय महेश
Deleteहार्दिक आभार सहित सस्नेह
अति सुंदर लेख।भारत के अनमोल रतन हैं "रतन टाटा जी"।सरकार ने इन्हे"भारत रत्न" से सम्मानित नहीं किया पर इनके जीवन के कार्य इस सम्मान से बहुत ऊपर है।हर युवा को इनसे बहुत कुछ सीखना चाहिए।एक सच्चे देशभक्त,एक आदर्श चुम्बकीय व्यक्तित्व के धनी ऐसे महान महापुरुष को नमन।
ReplyDeleteप्रिय अनिल भाई
Deleteऐसे सम्मान से तो सम्मान भी सम्मानित ही होता। पर निर्दयी राजनीति के उनकी कद्र नहीं कि। अच्छा ही हुआ, क्योंकि फिर वे भी उन अपात्र भारत रत्नों में गिने जाते जो उसके कतई योग्य नहीं थे।
हार्दिक आभार सहित सस्नेह
अत्यंत सुंदर , प्रेरणादायक लेख इसमें बहुत सी बातों को अमल में लाने से खुद ब खुद विकास निश्चित होगा।
ReplyDeleteप्रिय अनिल
Deleteहार्दिक आभार सहित सादर
कुछ बिरले लोग ही होते है जो एक लम्बी विरासत छोड़ जाते हैंl रतन जी का पूरा जीवन निर्विवाद रहा l उन्होंने हर क्षेत्र में आदर्श व्यवहार का प्रतिमान स्थापित कियाl आपकी शब्द श्रद्धांजलि उनकी उपलब्धियों की एक झलक मात्र हैl नमन!
ReplyDeleteआदरणीय
Deleteसही कहा आपने। ऐसे व्यक्तित्व बिरले ही होते हैं और समय के साथ विदा होते जा रहे हैं। अब ऐसे लोग कहां मिलेंगे भविष्य में। आगे का दृश्य तो थोड़ा बहुत भयावह ही लग रहा है।
हार्दिक आभार सहित सादर
पिताश्री अत्यंत ह्रदय को स्पर्श और प्रोत्साहित करने वाला लेख है। पिताश्री ये अनमोल लेख है। पिताश्री को सादर प्रणाम व चरण स्पर्श 🙏
ReplyDeleteप्रिय हेमंत
Deleteहार्दिक आभार सहित सस्नेह
Dr.Surinder Kaur
ReplyDeleteVery informative,motivational and thought provoking.
Res. Dr Kaur
DeleteThanks very much. Regards
प्रेरणादायक विस्तृत जानकारी। बहुत कुछ और ज्ञात हुआ। धन्यवाद
ReplyDeleteडॉ नुसरत मेहदी
आदरणीया
Deleteहार्दिक आभार सहित सादर
सदियों तक याद रहेंगे रतन टाटा और उनका देश के लिए अप्रतिम योगदान। आपका आलेख उनके पूरे जीवन के वृतांत का बहुत ही संक्षिप्त गागर में सागर सा समाहित कर दिया है। आपको साधुवाद
ReplyDeleteडी सी भावसार
आदरणीय
Deleteहार्दिक आभार। सादर
Ratan tata jaisa insan arbon mae ek hota hai sir pranam
ReplyDeleteThanks very much
DeleteVery detailed systematic nice description of Ratan Tataji.
ReplyDeleteThanks very much.
ReplyDeleteVery nice article. Interesting and inspiring....
ReplyDeleteThanks very much Dear Vandana.
DeleteAccording to me, he was the real MAHA-MAANAV whom we should never forget. Thank you very much for reminding me of him.
ReplyDeleteDear Dr Vijendra
DeleteThanks very very much. Regards
Heart touching narration about Ratan Tata……. Extraordinary Parsi soul. Reading in a consolidated form touched inner self🙏🏼
ReplyDeleteDear Daisy
ReplyDeleteThanks very much. These are just few. His contribution for the mankind and country is immense. Regards
One day coming generations would be amazed on the fact that there was such a human being with all finest possible qualities and who lived in India . We all really miss him a lots
ReplyDeleteDear Ms. Preeti
DeleteThanks very much. Kind regards
श्रीमान,
ReplyDeleteसादर वंदन
श्री रतनजी टाटा जैसी हस्ती के हृदय स्पर्शी कुछ संस्मरण का विवरण प्रस्तुत करना उनके प्रती सच्ची आदरांजलि है ऐसे ज्ञानवर्धक संस्मरण केलिए आपका हृदय से आभार।👏
हार्दिक आभार मित्र
DeleteExcellent article touching all aspects of TATA
ReplyDeleteThanks very much Dear Manish Bhai
DeleteReal tribute to a modern Hari Chandra of Bharat, rare soul, Parsi community is the tinest in Bharat, but their contribution in any fields in Bharat is immense, that too without asking reservation or playing victim card, on only &only merit, devotion &honest y.
ReplyDeleteAbove comment s are mine, CG Dadhkar
ReplyDeleteDear Brother Charudutt
DeleteYes their contribution is beyond words. Great community. Thanks very much. Kind regards
सभी उदाहरण एक आदर्श व्यक्ति के आदर्श आचरण व कार्य को दिखाते है.. सच में भारत के रतन थे रतन टाटा जी.. बहुत ही अच्छा लेख है सर.. प्रेरक व शिक्षाप्रद.. साधुवाद आपको 🌹💐🙏
ReplyDeleteप्रिय रजनीकांत
Deleteहार्दिक आभार। सस्नेह
रतन टाटा का जीवन सबके लिए प्रेरणा दायक था। आपने सुंदर तरीके से उनके जीवन के चुनिंदा प्रसंग अपनी विशिष्ट शैली में प्रस्तुत किये। पढ़कर बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteसुरेश कासलीवाल
आदरणीय
Deleteआपके प्रति हार्दिक आभार। सादर
On the lines of noble prize, या जमनालाल बजाज awards की तरह serious effort करके tata जी की याद में देश भक्ति या positivity के लिये समाज में सच्चा काम (चारों ओर negativity का पोषण हो रहा है) करने वालों को lifetime वाला सम्मान अपेक्षित है
ReplyDeleteDr S K AGRAWAL, GWALIOR
आदरणीय सर,
Deleteबहुत ही सुंदर चित्रण किया है आपने रतन टाटा जी के व्यक्तित्व का, वैसे उनके लिए जितना भी कहा जाए कम है या यूं कहें कि सूरज को चिराग दिखाने जैसा है ।
फिर भी संतुलित शब्दों की सीमा में आपने जो चित्रण किया है वो अदभुत है।
आदरणीय आपने रतन टाटा जी का अद्भुद चित्रण किया हे जिसको पढ़कर मैं आखों को नम होने से रोक नहीं पाया रिश्ते में मेरे वह कोई नहीं हे पर जितने वह देश भक्त और कर्तव्यनिष्ठ थे उनके प्रति आदर से बारम्बार नमन है। इतने महान व्यक्तित्व वाले इंसान की कमी हमेशा खलती रहेगी जो बिरले ही पैदा होते हैं।आपने सही कहा की जो आपने लिखा है वह तो समुद्र में तिनके के समान है। उनकी महानता का बखान करने के लिए शब्द नहीं है।आपकी आदरंजलि के लिये साधुवाद।🙏
Deleteअशोक मिश्रा।
अशोक भाई
Deleteसही। जितना भी कहें कम है इनके बारे में। यह तो मात्र विनम्र प्रयास है महा मानव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का। हार्दिक आभार सादर
आभार मित्र डॉ. अग्रवाल। सादर
Deleteप्रिय शरद
Deleteबहुत मनोयोग से पढ़कर प्रतिक्रिया प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार। सस्नेह
Joshi ji, your compilation is heart warming at the same time reflects your affection for Ratan ji Tata.
ReplyDeleteI am making the below comments not because I am a Parsi but as a mark of respect for Ratan ji who was the rarest of rare human soul and a Parsi later.
It has been weeks since Ratan ji returned to his final Adobe but the media untiringly continues to recall his actions or let me say his gestures. What's the reason behind this?
In my view Ratan ji was an Industrialist who also created Capital but with a difference. Creating Financial Equity is the prime driver of all industrialists and so was it for Ratan ji too. However Ratan ji created yet another equity which unlike Financial Equity cannot be valued. This I call it as "Emotional Equity". It's priceless and immortal at the same time.
Ratan ji, lived a life with a purpose that was directed to Humanity first and Business thereafter. Business remained as his means to fulfill the responsibilities the Almighty had put on his shoulders. Not that the same responsibilities do not rest on the shoulders of all humans, it is just that motels like us chose to brush them away. Having fulfilled God's wish for which he was Ratan ji was sent on Earth, he probably achieved immortality in the hearts of humans. "Memories will fade but Emotions will continu to reside in human Hearts.
If there is any lesson to learn from Ratan jis life is that - Emotional Equity will anyday be worthier than Financial Equity.
Really great
DeleteThanks very much Dear Friend
DeleteRes. JamshedJi
DeleteSo nice to talk to you today. I tried modestly to integrate few facets of His life and share on the request of editor.
I have great respect for Parsi community in general and Ratan Ji in particular and tried to share in past also, which you are already aware. I desire to continue this mission in the time to come also.
Kind regards
Joshi ji, as discussed, a bigger compilation on Sir Ratan Tata ji from your end would go a long way in benefiting generations to come. Anyway, thank you once again for the generous admiration showered by you on my community.
Deleteएक व्यक्ति, एक आदर्श, एक प्रेरणा , एक अतुलनीय व्यक्तित्व!
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्र
ReplyDeleteआदरणीय sir
ReplyDeleteसादर प्रणाम
इस अद्भुत आलेख के लिए आपको कोटि कोटि साधुवाद. एक विराट व्यक्तित्व का सुंदर चित्रण l रतन टाटा के जीवन की इतनी सारी जानकारी और उनकी सच्ची मानवता से भरपूर जीवन यात्रा को पढ़कर मन संवेदना से भर गया l आज कई बार पढ़ने के बाद कुछ लिखने का प्रयास कर रही हूं क्योंकि उस महा मानव के व्यक्तित्व के आगे निःशब्द हूं l इस आलेख से बढ़कर सच्ची श्रद्धांजलि कुछ भी नहीं है l पुनः कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सादर नमन l
आदरणीया
ReplyDeleteआप बहुत मनोयोग से पढ़कर ही प्रतिक्रिया प्रदान करती हैं एवं सदा से मेरी हित चिंतक रही हैं। धन्यवाद बहुत छोटा शब्द होगा। मैं तो नत मस्तक हूं इन पलों में सादर
देश एवं मानवता के प्रति समर्पित एक अप्रतिम व्यक्तित्व का गागर में सागर भरता ज्ञानवर्धक आलेख ।ऐसे महामानव कभी-कभी ही अवतरित होते हैं। जिनका जीवन और विचार सदियों तक प्रेरणा देते हैं। बहुत सुंदर लिखा आपने। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteआदरणीया
ReplyDeleteआप तो स्वयं बहुत विद्वान हैं, सो आपकी प्रतिक्रिया लेखन के अदना से प्रयास को स्वयमेव सार्थक कर देती है। अन्य मंच पर भी आपका योगदान सदैव प्रतिध्वनित होता देख रहा हूं इन दिनों।
सो हार्दिक आभार सहित सादर
यह आपकी विनम्रता है।🙏🏼सुदर्शन रत्नाकर
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