उदंती.com

Oct 1, 2024

जीवन दर्शनः श्री कृष्ण से सीखें : सफलता के सूत्र

 - विजय जोशी . - पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)

कृष्ण का जीवन अद्भुत था। वे सामाजिक समरसता के श्रेष्ठ उदाहरण हैं। उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं चाहा। निर्बल के पक्ष में न केवल खड़े रह कर न केवल उसे सबल बनाया, बल्कि समाज में पुनर्स्थापित भी किया। उनके जीवन से सफलता अर्जन के 10 सूत्रीय बिंदुओं पर प्रकाश का विनम्र प्रयास : 
1. प्रेम में निःस्वार्थता : निर्मल, निश्छल वासना रहित औदार्य पूर्ण प्रेम। सम्बंधों को बगैर किसी चाहत या प्रतिदान के साथ जीवन जिया। प्रेम में  दिया ही अधिक लिया कुछ भी नहीं।
2. सुदृढ़ मित्रता एवं निष्ठा : इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो यही है कि जहाँ एक ओर वे कंस के अत्याचारों के विरुद्ध ग्वाल बाल सखाओं के साथ खड़े रहे, तो दूसरी ओर अन्याय झेल रहे पांडवों के पक्ष में खड़े रह उन्हें न्याय प्रदायगी के सोपान बने।
3. भरोसा एवं समर्पण : आस्था, वफ़ादारी और विश्वास एक विश्वसनीय मित्र की सर्वोच्च पहचान है, जिसमें वे खरे उतरे।
4. धार्मिकता से परिपूर्ण : उदार धर्म भाव सहित सबके साथ उचित व्यवहार। सबसे प्रेम, वैर रहित आचरण।
5.  समानता एवं आदर : सामाजिक प्रतिष्ठा को परे रखते हुए हर एक से समान भाव से आदरपूर्ण व्यवहार।
6.  करुणा एवं दया : किसी से कोई शत्रुता का भाव नहीं। शत्रु को भी मित्र मानते हुए पहले संवाद, समझाइश और फिर समस्या निराकरण के पश्चात क्षमा कर देने वाला भाव।
7.  मोह रहित  संबंध : जिन्हें हम प्रेम करते हैं उनसे पूरा स्नेह और उचित देखभाल, लेकिन सीमा से परे का लगाव या अधिकार भाव नहीं।
8.  संवाद में स्पष्टता : अपने अनुभव या ज्ञान को तरीके से साझा करने के साथ- साथ अपनी बात को सटीक तथा सार्थक तरीके से समझाने की कला।
             कहने को तो हर बात कही जाती है,  कहने का सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है। 
9. आनंद और उत्सव : जीवन के हर पल को आनंदपूर्वक जीने की कला। मित्र परिवार सगे सम्बंधियों के साथ एकजुटता का भाव
10.  शाश्वत प्रेम : रिश्तों में शर्त रहित स्नेह प्राप्त करने के लिए निर्मल मन से प्रयास।
निष्कर्ष : जीवन का सत्व और तत्त्व :
 - छोटी उँगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाने वाले श्री कृष्ण। 
- छोटी- सी बाँसुरी को दोनों हाथों से पकड़ते हैं।
- बस इतना ही अंतर है- ‘पराक्रम और प्रेम’ में।
-  इसलिए रिश्तों में ‘पराक्रम’ नहीं ‘प्रेम’ होना चाहिए।

सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023,  मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com

36 comments:

  1. जोशीजी में सागर मथ कर अमृत निकाल लेने की अद्भुत क्षमता हैl एक सिद्ध साधु जैसे थोथा हटा कर सार निकाल लेते हैंl

    ReplyDelete
    Replies
    1. राजेश दीक्षित03 October

      आपने कृष्ण जी के माध्यम से सारगर्भित जीवन जीने की कला पर प्रकाश डाला है पण्डित जी। "प्रेम न हाट बिकाय " बस उसमे खो जाना ही उसे पाना है।सादर...

      Delete
    2. प्रिय राजेश भाई
      प्रेम प्रार्थना की तरह एक मंदिर का दीप। हार्दिक आभार सादर

      Delete
    3. आदरणीय
      सदा की तरह आज भी आप ही की प्रतिक्रिया सर्वप्रथम रही, जो मेरे लिए गौरव का विषय है। सो आपके प्रति हार्दिक कृतज्ञता सहित सादर

      Delete
  2. बहुत शानदार,सारगर्भित और प्रेरणास्पद आलेख।कृष्ण के जीवन दर्शन पर आधारित अनमोल विचार।गोवर्धन और बांसुरी के माध्यम से प्रेम और पराक्रम के गूढ़ रहस्य को आपने चंद पंक्तियों में उजागर किया है।कमजोर का सहारा बनकर उसे सबल बनाना ईश्वरीय गुण है।मानव जीवन में भी जो इस पथ पर अग्रसर है,ईश्वर गुणों से परिपूर्ण है।इस प्रकार के सभी बिंदु गागर में सागर समेटे हुए हैं। इतने सार्थक और अनुकरणीय आलेख से परिचित करवाने हेतु अशेष साधुवाद।सादर प्रणाम।

    ReplyDelete
    Replies
    1. विजय जोशी14 October

      आदरणीया
      आप खुद बहुत बड़ी साहित्यकार हैं। हार्दिक आभार सहित सादर

      Delete
  3. Anonymous05 October

    महाभारत के महानायक श्रीकृष्ण के चरित्र का सार थोड़े शब्दों में बताया। गागर में सागर का अनुपम उदाहरण है।
    --- सुरेश कासलीवाल

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय
      हार्दिक आभार सहित सादर

      Delete
  4. आदरणीय सर,

    अति उत्तम और प्रेरक लेख।

    "रिश्तों में ‘पराक्रम’ नहीं ‘प्रेम’ होना चाहिए।"

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मित्र

      Delete
  5. मंगल स्वरूप त्रिवेदी07 October

    16 कलाधारी भगवान श्री कृष्णा का जो चित्रण इस लेख के माध्यम से अपने सभी तक पहुंचा है, सर्वप्रथम इसके लिए आभार।
    मुरलीधर ने न सिर्फ सनातन को बल्कि संपूर्ण मनुष्य जाति को एक नया जीवन दर्शन दिया है और एक नई जीवन शैली सिलाई हैं, जो अद्भुत है और उसे जिए बगैर सहिष्णुता के साथ, शांति के साथ मानव जीवन संपादित हो ही नहीं सकता।
    भगवान श्री कृष्ण का जीवन चमत्कारों से भरा है लेकिन वह हमें जितने करीब लगते हैं उतना और कोई नहीं वह ईश्वर होकर भी सबसे पहले सफल, गुणवान और आध्यात्मिक रूप से दिव्य पुरुष है।
    भगवान श्री कृष्ण के सरस एवं मोहन लीलाओं तथा परम पावन उपदेशों से जीवन को जो शिक्षा मिलती है वह लेखनी की सीमा के पार है।
    वे संपूर्ण मानव सभ्यता के एक विलक्षण महानायक है और उनका दर्शन सभी के लिए जीवन जीने का संविधान।
    माधव का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुआयामी एवं बहुरंगी है बुद्धिमता, प्रेम सहिष्णुता गुरुत्व सुख दुख और न जाने कितनी विशेषताओ को स्वयं में समेटे हुए हैं।
    उनकी शिक्षाओं एवं जीवन दर्शन को इस लेख में आदरणीय जोशी साहब ने जितनी आसानी से समझाया है वह दुर्लभ ही मिलता है।
    इस शाश्वत महान संदेश के लिए आपको पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद एवं हृदय से आभार।


    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रिय मंगल स्वरूप
      सच में बहुत विद्वान हो। यदि ऐसा न होता तो इतनी अच्छी मीमांसा कैसे कर पाते। हर प्रतिक्रिया से मुझे कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है। कृष्ण का व्यक्तित्व तो अद्भुत रहा है : ताहि अहीर की छोकरियां छछिया भरी छाछ पे नाच नचावैं। कितने सरल। प्रेम की प्रतिमूर्ति
      -- खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी बाकी धार
      - जो उतरा सो डूब गया जो डूबा सो पार
      हार्दिक आभार सहित सस्नेह

      Delete
  6. Very analytical take on the life and teachings of Shri Krishna. Thanks for enlightenment! S N Roy

    ReplyDelete
  7. Anonymous07 October

    Enlightened indeed Vijay Sir . How simply and beautifully articulated teachings of the Omnipotent, Omnipresent and Omniscient God Almighty Bhagwan ShriKrishan . Grateful for sharing such pearls of wisdom .

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanks very much Dear Friend and my well wisher

      Delete
  8. मानस मंथन:सफल प्रबंधन , book की तरह आपने जो मोती निकाले हैं विचारणीय हैं
    कृष्ण चरित्र एक Sagar रत्नाकर, है, पीने को गंगा जल है,
    Administration with human heart का उत्कृष्ट उदाहरण है, साधुवाद, धन्यवाद भाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. Dear Dr Shrikrishna
      You are replica of Shrikrishna in academic field. Thanks and regards

      Delete
  9. Very profound words...there is so much to learn from this article....

    ReplyDelete
  10. भगवान श्रीकृष्ण की अनुकरणीय विशेषताओं का बहुत ही सुंदर चित्रण ।
    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मित्र

      Delete
  11. पिताश्री अत्यंत सरल शब्दों में महत्वपूर्ण गुणों का उल्लेख किया है. जय श्रीकृष्ण 🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रिय हेमंत
      हार्दिक आभार सस्नेह

      Delete
  12. कृष्ण भगवान का अदभुत चित्रण

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मित्र

      Delete
  13. अति सुंदर लेख

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मित्र

      Delete
  14. कृष्ण सम्पूर्ण हैं जो आपके लेख में भी है.. बधाई सर 🌹💐

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मित्र

      Delete
  15. Dr.Surinder Kaur08 October

    Very motivational and informative.Need to be practiced in real life

    ReplyDelete
    Replies
    1. Dear Dr Kaur
      I'm highly appreciative of your quest for learning. Thanks and regards

      Delete
  16. Anonymous08 October

    अशोक कुमार मिश्रा
    आदरणीय जोशी जी आपने सागर मंथन कर कृष्ण जी का चरित्र कुछ शब्दों में समझा दिया है। निस्वार्थ प्रेम और दोस्ती मनुष्य के जीवन के भी अमूल्य गुण है। गोवर्धन पर्वत और बांसुरी का बहुत ही सुंदर उदाहरण है। उत्तम लेख साधुवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रिय बंधु अशोक
      प्रतिबद्धता का कृष्ण के इतर अन्य कोई उदाहरण नहीं है कहीं भी। हार्दिक आभार

      Delete
  17. आदरणीय
    सही कहा आपने। हार्दिक आभार सहित सादर

    ReplyDelete
  18. Anonymous15 October

    भारतीय संस्कृति के महानायक श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व की विविध विशेषताओ को दस सरल सूत्रों में आपने प्रस्तुत कर दिया यह आपकी विशेषता है। धन्यवाद।
    --- सुरेश कासलीवाल

    ReplyDelete