कृष्ण का जीवन अद्भुत था। वे सामाजिक समरसता के श्रेष्ठ उदाहरण हैं। उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं चाहा। निर्बल के पक्ष में न केवल खड़े रह कर न केवल उसे सबल बनाया, बल्कि समाज में पुनर्स्थापित भी किया। उनके जीवन से सफलता अर्जन के 10 सूत्रीय बिंदुओं पर प्रकाश का विनम्र प्रयास :
1. प्रेम में निःस्वार्थता : निर्मल, निश्छल वासना रहित औदार्य पूर्ण प्रेम। सम्बंधों को बगैर किसी चाहत या प्रतिदान के साथ जीवन जिया। प्रेम में दिया ही अधिक लिया कुछ भी नहीं।
2. सुदृढ़ मित्रता एवं निष्ठा : इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो यही है कि जहाँ एक ओर वे कंस के अत्याचारों के विरुद्ध ग्वाल बाल सखाओं के साथ खड़े रहे, तो दूसरी ओर अन्याय झेल रहे पांडवों के पक्ष में खड़े रह उन्हें न्याय प्रदायगी के सोपान बने।
3. भरोसा एवं समर्पण : आस्था, वफ़ादारी और विश्वास एक विश्वसनीय मित्र की सर्वोच्च पहचान है, जिसमें वे खरे उतरे।
4. धार्मिकता से परिपूर्ण : उदार धर्म भाव सहित सबके साथ उचित व्यवहार। सबसे प्रेम, वैर रहित आचरण।
5. समानता एवं आदर : सामाजिक प्रतिष्ठा को परे रखते हुए हर एक से समान भाव से आदरपूर्ण व्यवहार।
6. करुणा एवं दया : किसी से कोई शत्रुता का भाव नहीं। शत्रु को भी मित्र मानते हुए पहले संवाद, समझाइश और फिर समस्या निराकरण के पश्चात क्षमा कर देने वाला भाव।
7. मोह रहित संबंध : जिन्हें हम प्रेम करते हैं उनसे पूरा स्नेह और उचित देखभाल, लेकिन सीमा से परे का लगाव या अधिकार भाव नहीं।
8. संवाद में स्पष्टता : अपने अनुभव या ज्ञान को तरीके से साझा करने के साथ- साथ अपनी बात को सटीक तथा सार्थक तरीके से समझाने की कला।
कहने को तो हर बात कही जाती है, कहने का सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है।
9. आनंद और उत्सव : जीवन के हर पल को आनंदपूर्वक जीने की कला। मित्र परिवार सगे सम्बंधियों के साथ एकजुटता का भाव
10. शाश्वत प्रेम : रिश्तों में शर्त रहित स्नेह प्राप्त करने के लिए निर्मल मन से प्रयास।
निष्कर्ष : जीवन का सत्व और तत्त्व :
- छोटी उँगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाने वाले श्री कृष्ण।
- छोटी- सी बाँसुरी को दोनों हाथों से पकड़ते हैं।
- बस इतना ही अंतर है- ‘पराक्रम और प्रेम’ में।
- इसलिए रिश्तों में ‘पराक्रम’ नहीं ‘प्रेम’ होना चाहिए।
सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023, मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com
जोशीजी में सागर मथ कर अमृत निकाल लेने की अद्भुत क्षमता हैl एक सिद्ध साधु जैसे थोथा हटा कर सार निकाल लेते हैंl
ReplyDeleteआपने कृष्ण जी के माध्यम से सारगर्भित जीवन जीने की कला पर प्रकाश डाला है पण्डित जी। "प्रेम न हाट बिकाय " बस उसमे खो जाना ही उसे पाना है।सादर...
Deleteप्रिय राजेश भाई
Deleteप्रेम प्रार्थना की तरह एक मंदिर का दीप। हार्दिक आभार सादर
आदरणीय
Deleteसदा की तरह आज भी आप ही की प्रतिक्रिया सर्वप्रथम रही, जो मेरे लिए गौरव का विषय है। सो आपके प्रति हार्दिक कृतज्ञता सहित सादर
बहुत शानदार,सारगर्भित और प्रेरणास्पद आलेख।कृष्ण के जीवन दर्शन पर आधारित अनमोल विचार।गोवर्धन और बांसुरी के माध्यम से प्रेम और पराक्रम के गूढ़ रहस्य को आपने चंद पंक्तियों में उजागर किया है।कमजोर का सहारा बनकर उसे सबल बनाना ईश्वरीय गुण है।मानव जीवन में भी जो इस पथ पर अग्रसर है,ईश्वर गुणों से परिपूर्ण है।इस प्रकार के सभी बिंदु गागर में सागर समेटे हुए हैं। इतने सार्थक और अनुकरणीय आलेख से परिचित करवाने हेतु अशेष साधुवाद।सादर प्रणाम।
ReplyDeleteआदरणीया
Deleteआप खुद बहुत बड़ी साहित्यकार हैं। हार्दिक आभार सहित सादर
महाभारत के महानायक श्रीकृष्ण के चरित्र का सार थोड़े शब्दों में बताया। गागर में सागर का अनुपम उदाहरण है।
ReplyDelete--- सुरेश कासलीवाल
आदरणीय
Deleteहार्दिक आभार सहित सादर
आदरणीय सर,
ReplyDeleteअति उत्तम और प्रेरक लेख।
"रिश्तों में ‘पराक्रम’ नहीं ‘प्रेम’ होना चाहिए।"
हार्दिक आभार मित्र
Delete16 कलाधारी भगवान श्री कृष्णा का जो चित्रण इस लेख के माध्यम से अपने सभी तक पहुंचा है, सर्वप्रथम इसके लिए आभार।
ReplyDeleteमुरलीधर ने न सिर्फ सनातन को बल्कि संपूर्ण मनुष्य जाति को एक नया जीवन दर्शन दिया है और एक नई जीवन शैली सिलाई हैं, जो अद्भुत है और उसे जिए बगैर सहिष्णुता के साथ, शांति के साथ मानव जीवन संपादित हो ही नहीं सकता।
भगवान श्री कृष्ण का जीवन चमत्कारों से भरा है लेकिन वह हमें जितने करीब लगते हैं उतना और कोई नहीं वह ईश्वर होकर भी सबसे पहले सफल, गुणवान और आध्यात्मिक रूप से दिव्य पुरुष है।
भगवान श्री कृष्ण के सरस एवं मोहन लीलाओं तथा परम पावन उपदेशों से जीवन को जो शिक्षा मिलती है वह लेखनी की सीमा के पार है।
वे संपूर्ण मानव सभ्यता के एक विलक्षण महानायक है और उनका दर्शन सभी के लिए जीवन जीने का संविधान।
माधव का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुआयामी एवं बहुरंगी है बुद्धिमता, प्रेम सहिष्णुता गुरुत्व सुख दुख और न जाने कितनी विशेषताओ को स्वयं में समेटे हुए हैं।
उनकी शिक्षाओं एवं जीवन दर्शन को इस लेख में आदरणीय जोशी साहब ने जितनी आसानी से समझाया है वह दुर्लभ ही मिलता है।
इस शाश्वत महान संदेश के लिए आपको पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद एवं हृदय से आभार।
प्रिय मंगल स्वरूप
Deleteसच में बहुत विद्वान हो। यदि ऐसा न होता तो इतनी अच्छी मीमांसा कैसे कर पाते। हर प्रतिक्रिया से मुझे कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है। कृष्ण का व्यक्तित्व तो अद्भुत रहा है : ताहि अहीर की छोकरियां छछिया भरी छाछ पे नाच नचावैं। कितने सरल। प्रेम की प्रतिमूर्ति
-- खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी बाकी धार
- जो उतरा सो डूब गया जो डूबा सो पार
हार्दिक आभार सहित सस्नेह
Very analytical take on the life and teachings of Shri Krishna. Thanks for enlightenment! S N Roy
ReplyDeleteThanks very very much sir. Kind regards
DeleteEnlightened indeed Vijay Sir . How simply and beautifully articulated teachings of the Omnipotent, Omnipresent and Omniscient God Almighty Bhagwan ShriKrishan . Grateful for sharing such pearls of wisdom .
ReplyDeleteThanks very much Dear Friend and my well wisher
Deleteमानस मंथन:सफल प्रबंधन , book की तरह आपने जो मोती निकाले हैं विचारणीय हैं
ReplyDeleteकृष्ण चरित्र एक Sagar रत्नाकर, है, पीने को गंगा जल है,
Administration with human heart का उत्कृष्ट उदाहरण है, साधुवाद, धन्यवाद भाई
Dear Dr Shrikrishna
DeleteYou are replica of Shrikrishna in academic field. Thanks and regards
Very profound words...there is so much to learn from this article....
ReplyDeleteThanks very much Dear Vandana
Deleteभगवान श्रीकृष्ण की अनुकरणीय विशेषताओं का बहुत ही सुंदर चित्रण ।
ReplyDeleteधन्यवाद
हार्दिक आभार मित्र
Deleteपिताश्री अत्यंत सरल शब्दों में महत्वपूर्ण गुणों का उल्लेख किया है. जय श्रीकृष्ण 🙏
ReplyDeleteप्रिय हेमंत
Deleteहार्दिक आभार सस्नेह
कृष्ण भगवान का अदभुत चित्रण
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्र
Deleteअति सुंदर लेख
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्र
Deleteकृष्ण सम्पूर्ण हैं जो आपके लेख में भी है.. बधाई सर 🌹💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्र
DeleteVery motivational and informative.Need to be practiced in real life
ReplyDeleteDear Dr Kaur
DeleteI'm highly appreciative of your quest for learning. Thanks and regards
अशोक कुमार मिश्रा
ReplyDeleteआदरणीय जोशी जी आपने सागर मंथन कर कृष्ण जी का चरित्र कुछ शब्दों में समझा दिया है। निस्वार्थ प्रेम और दोस्ती मनुष्य के जीवन के भी अमूल्य गुण है। गोवर्धन पर्वत और बांसुरी का बहुत ही सुंदर उदाहरण है। उत्तम लेख साधुवाद।
प्रिय बंधु अशोक
Deleteप्रतिबद्धता का कृष्ण के इतर अन्य कोई उदाहरण नहीं है कहीं भी। हार्दिक आभार
आदरणीय
ReplyDeleteसही कहा आपने। हार्दिक आभार सहित सादर
भारतीय संस्कृति के महानायक श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व की विविध विशेषताओ को दस सरल सूत्रों में आपने प्रस्तुत कर दिया यह आपकी विशेषता है। धन्यवाद।
ReplyDelete--- सुरेश कासलीवाल