- भीकम सिंह
1
लो, विदा हुई
एक और साल की
सोचें -विचारें
कैलेण्डर वॉल की
कुछ नये ढाल की ।
2
अस्त हुआ है
एक वर्ष का सूर्य
दु:ख सहते
नई तारीखें लेके
आओ, फिर बहते ।
3
पुराना वर्ष
प्रश्नों को छोड़ गया
कल के लिए
उदय हुआ नया
ज्यों बदल के लिए ।
4
ठेल -ठालके
जैसे तैसे बीता है
पुराना वर्ष
आओ नये के देखें
विषाद और हर्ष ।
सटीक विश्लेषण
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसाधारण शब्दों में वक्त की रफ़्तार को नापती कविता
ReplyDeleteWah wah 👏🏻
ReplyDeleteबहुत खूब 👌
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete🙌👏🙌
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