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Nov 6, 2023

जीवन दर्शनः 9/11 और ट्वीन टॉवर : एक युद्ध आतंकवाद के विरुद्ध

  - विजय जोशी 

-  किसी भी देश में शहीदों का सम्मान सर्वोपरि होता है, फिर भले ही वह बलिदान देश प्रेम के अंतर्गत किसी युद्ध में हुआ हो या फिर मानवता को कलंकित करती किसी आतंकवादी घटना में। शहादत को प्राप्त ऐसे लोग विदेशों में तो पूजे जाते हैं और मानवता की बलिवेदी पर समर्पित उनकी शहादत का पीढ़ी दर पीढ़ी सम्मान किया जाता है। रूस में तो हर विवाहित जोड़ा सबसे पहले शहीद स्मारक पर जाकर शीश नवाकर अपनी गृहस्थी का श्रीगणेश करता है।

-  हमारे देश की आजादी में भी क्रांतिकारियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, किंतु जिस सम्मान के वे हकदार थे उसे देने में हमने कोताही बरती। कृतघ्नता की जीती जागती मिसाल। बकलम श्रीकृष्ण सरल : 

शहीदों की चिताओं पर लगते नहीं मेले

वतन पे मरने वालों का नहीं बाक़ी निशाँ कोई


- खैर बात का प्रसंग यह है कि अमेरिका के न्यूयॉर्क नगर में 9/11 के ही दिन ट्विन टॉवर ब्लास्ट की आतंकवादी घटना में मानवता को शर्मसार करते हुए आतंकवादियों के एक सरगना द्वारा हजारों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। यह इतिहास का सबसे शर्मनाक काला अध्याय है।

-  अपने अमेरिका प्रवास के दौरान उस स्थल पर जाकर न केवल मेरी आँखें नम हो गईं, अपितु जो अद्भुत हृदयस्पर्शी बात मन को गहराई तक छू गई वह कुछ यूँ थी : 

1- जिस जगह ट्विन टॉवर को ध्वस्त किया गया, अब उस स्थान पर लोगों के अवलोकन के लिए झरना युक्त विस्तृत एवं सुंदर चौकोर कुंड का निर्माण कर दिया गया है। 

2- चारों ओर लगभग 3 फीट ऊँची ग्रेनाइट युक्त पैराफिट वाल पर सभी शहीदों के नाम भी उकेरे गए हैं, ताकि लोग आज भी अपने दिवंगत संबंधियों को श्रद्धांजलि दें सकें।

3- यही कारण है कि यह स्मारक पूरे वर्ष किसी न किसी संबंधी के शहादत स्थल पर आकर फूल अर्पित प्रयोजन के माध्यम से आतंकवाद के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन का प्रतीक भी बन गया है।    

4- आश्चर्य की बात यह भी है कि यहाँ न कोई उद्घाटन नुमा शिलालेख है और न ही किसी नेता का नाम। एक ज्वलंत जाग्रत स्मारक जहाँ जाते ही असीम शांति और प्रार्थना का मन हो जाए।

-  काश राजनीति एवं स्वार्थ मुक्त ऐसी किसी परंपरा का सम्मान हम भी कर पाते और फिर से गर्व से कह पाते : 

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले

वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा

सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023,
 मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com

26 comments:

  1. कुछ ऐसा ही अनुभव मुझे शौर्य स्मारक भोपाल एवं दिल्ली में बने वार मेमोरियल में जाकर हुआl देश पर अपने प्राण न्योछावर करने वालों का सम्मान स्वाभाविक ही हैl कुछ अपवादों को छोड़ दें तो सभी दिल से उनका सम्मान करते हैंl

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    1. आदरणीय,
      बिल्कुल यही भाव सबके मन में उभरता है, किंतु विदेशों में इन त्रासदियों का भुनाने का प्रयत्न कभी नहीं किया जाता है। राजनीति से सर्वथा मुक्त। हार्दिक आभार सहित सादर

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  2. Kishore Purswani09 November

    काश ऐसी श्रद्धांजलि कभी भी किसी को देने के ज़रूरत ना पड़े बाहय एवं आंतरिक आतंकवाद का जड़ से सफ़ाया ही एक मात्र उपाय है

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    1. प्रिय किशोर भाई,
      बिल्कुल सही कहा आपने। यह ख़तरा हमारे यहां तो सर्वाधिक है, पर क्षुद्र राजनीति ने इसे भी स्वार्थ की बलिवेदी पर चढ़ा दिया है। हार्दिक आभार

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  3. Anonymous09 November

    काश भविष्य में इससे सीखे कि मानवता के विरुद्ध किए गए सभी कृत्य को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है।

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    1. हार्दिक आभार मित्र

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  4. Anonymous09 November

    Good one sirji

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  5. Res. AnandaJi,
    Thanks very very much. Kind regards

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  6. Anonymous09 November

    Wish here also people had the same respect for martyrs, without any political leanings.
    Vandana Vohra

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    1. Dear Vandana, so nice of you. Thanks very much.

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  7. देशद्रोही लोगों का महिमामंडन करने वालों का बहिष्कार
    यदि सम्भव हो तो, शायद श्रद्धांजलि की जरूरत ही नही हो
    जय भारत

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    1. प्रिय डॉ. श्रीकृष्ण अग्रवाल,
      यही तो दुर्भाग्य है हमारे देश का। हार्दिक आभार सहित सादर

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  8. विचारणीय विषय.
    पर अपने यहां काम से ज्यादा नाम की फिक्र है 🙏🏼🙏🏼

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    1. प्रिय रजनीकांत, बिल्कुल सही कहा. सस्नेह

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  9. Absolutly correct
    However now slowly and Steadly we are learing the meaning of patriotism.

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    1. Res. TripathiJi, Thanks very much. Kind regards

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  10. सर,
    अत्यंत ही विचारणीय विषय,

    शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले

    वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा।

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  11. प्रिय महेश, हार्दिक धन्यवाद। सस्नेह

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  12. पिताश्री आपका आलेख पढ़कर यही लगता है कि हमारे भारतीय नेता दिखावा करने में अमेरिकनस से एक कदम आगे है। इन नेताओं को स्वार्थ कि राजनीती करनी है बाकि जनमानस तो टैक्स भर के इनकी जेब भर रहा है। This is ridiculous. पिताश्री सादर प्रणाम और चरण स्पर्श. आलेख के लिए 👆👌👌👌 warm regards पिताश्री with love. 🙏

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    1. प्रिय हेमंत,
      हम बात बड़ी करते हैं और व्यवहार निम्न। वे बड़ी बात नहीं करते बल्कि आचरण से इसे सिद्ध करते हैं। हार्दिक आभार। सस्नेह

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  13. Anonymous10 November

    डॉ पी पी मिश्रा ( वरिष्ठ चिकित्स) 10/11/23
    सर
    नमस्कार
    शहीदों से जुडा ऐ बहुत ही गम्भीर विषय है जिस पर आप ने बहुत ही सरल शब्दों में लोगों तक पहुचाने का प्रयास किया है जो सरहनीय है | समाज में युवाओं को और आने वाली पीढ़ी को सीख लेने की जरूरत है!

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    1. प्रिय डॉ. प्रहलाद भाई,
      शहीदों का सम्मान गर्व का विषय है विदेश में और हमारे यहां सुविधा का प्रयोजन केवल वोट के परिप्रेक्ष्य में। हार्दिक आभार सहित

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  14. राजेश दीक्षित10 November

    आतंकवाद को सही तरीके से परिभाषित भी नही किया गया है आज तक। हाल ही मे एक घटना ने उसके विकृत रूप को उजागर कर विश्व को चेताया भी है और युद्ध की ओर ढकेला भी है। स्मारक पर सुमन अर्पण याद के साथ-साथ आतंकवाद को समूल समाप्त करने की आवश्यकता को भी दोहराता है। आपका संस्मरण सारगर्भित है मौजूदा हालात मे। सादर

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  15. प्रिय राजेश भाई,
    उस स्थान पर जाते ही मन अपने आप श्रद्धा से भर जाता है। पूरे वर्ष वहां आतंकवाद के विरूद्ध एक अहिंसक आंदोलन जारी है। हार्दिक आभार सहित सादर

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  16. आदरणीय प्रेम चंद जी,
    आज की राजनीति बहुत गिर गई है पर क्या आम जन नहीं। आज रहीम होते तो शायद कहते : वे नर मरि चुके जो नीच कर्म रत होय, उनसे पहले वे मरे जो निजी स्वार्थ हित उनको चुनते जांय। हार्दिक आभार सहित सादर

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