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Jun 1, 2023

कविताः जब नदी भूली रास्ता

 




 - हरभगवान चावला

नदी अभी बच्ची थी

हठी थी

पहाड़ पिता की गोद छोड़

निकल गई टहलने अकेली

फिर वह रास्ता भटक गई

उसने न कोई शहर देखा था

न रेलवे स्टेशन

न राजमार्ग

न कोई अमूल्य ऐतिहासिक धरोहर

न किसी से उसकी पहचान ही थी

वह कभी अपने घर नहीं लौटी

ओ मनुष्यो!

ओ पशुओ!

ओ पक्षियो!

ओ वनस्पतियो!

उस ज़िद को शुक्रिया कहो

जिसने नदी को पिता की गोद से उतारा

उस पल को भी शुक्रिया कहो

जब नदी भूली अपना रास्ता।

सम्पर्कः 406, सेक्टर- 20, सिरसा, 125055,  (हरियाणा)

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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