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May 1, 2023

कविताः पर तुम नहीं बदले

 - कमला निखुर्पा

सब कुछ बदल रहा है

बदलते समय के साथ- साथ

तकनीक की तरह

खून के रिश्ते भी 

बदल रहे रंग हर रोज।

2जी से 5जी के सफर में भाग रहे हैं सब

अनजानी दिशा की ओर।

अपनी-अपनी मंजिल की सबको तलाश है

काँधों पर सबके अपने-आने  रिश्तों की लाश है ।

आभासी दुनिया है

अन्तरंगी मुखौटे हैं

जाने कितनों ने

कितनों के चैन लूटे हैं

फिर भी अपनी नजर में

वो तो बड़े काबिल हैं।

अभी कल तक जो

अपनों के ही कातिल थे।

सचमुच सब कुछ बदल रहा है

बदलते समय के साथ- साथ ।

पर तुम नहीं बदले

हिमालय की तरह हो अडिग खड़े

अपनों की भीड़ कम हो जाए, तो गम नहीं

पर तुम हर पल साथ हो

इस एहसास में बहुत बड़ी बात है

सचमुच इस एहसास में

कुछ खास है!

सम्पर्क: प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय पिथौरागढ़, 2/12 praachaar, पोस्ट ऑफिस – भरकटिया, (उत्तराखंड )-262520

2 comments:

  1. Anonymous02 May

    Nice ma'am 🙏

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  2. Anonymous04 May

    बहुत सुंदर रचना🙏

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