-विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)
प्रेम प्रार्थना की तरह
इक मंदिर का दीप
जिसको यह मोती मिले वह
बड़भागी सीप
सहयोग, सद्भावना तथा
सहानुभूति जीवन के वे तीन अवयव हैं जो हमें आपस में एक दूसरे से निर्मल मन से
जोड़ते हैं। इसमें एक दूसरे पर पारस्परिक
निर्भरता भी एक ऐसा पहलू है जो हमारी शक्ति, स्वाभिमान एवं
साहस को परिभाषित करता है। इसका सर्वोत्तम उदाहरण यदि कहीं है तो वह है दंपत्ति
यानी पति- पत्नी का जोड़ा अस्तु एक छोटा सा प्रसंग-
75 वर्ष आयु प्राप्त एक
वरिष्ठ पति की उनसे 5 वर्ष छोटी पत्नी के आपसी मेलजोल और परस्पर प्रेम से प्रभावित
एक नौजवान उनसे नियमित रूप से मिलने हर रविवार जाया करता था। उसने देखा कि पति
अपनी पत्नी से स्नेहपूर्वक कॉफी पीने की जब मंशा जाहिर करते तो पत्नी कॉफी बाटल
लाकर उनसे खोल देने के आग्रह सहित उपस्थित हो जाया करती थीं। यह एक सतत प्रवाहित
होने नियमित प्रक्रिया थी।
नौजवान ने सहायता की दृष्टि से उन्हें एक
कॉफी मेकर बाटल ओपनर के साथ भेंट किया
उनकी सुविधा के मद्देनजर, लेकिन उसके लिए आश्चर्य की बात
तो यह हुई कि अगले विज़िट पर उसने पत्नी को फिर से वही आग्रह करते पाया। वह अचंभित
हो गया। उसे लगा शायद वे भेंट भूल गए हैं।
तत्पश्चात उसे एक दिन
दोनों से अलग- अलग मिलने का अवसर मिला तो उसने इस बाबद जिज्ञासा प्रकट की और जो
उत्तर मिला वह हम सबके जीवन में प्रेम की परिभाषा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
उन महाशय ने कहा- हाँ, मैं स्वयं भी कॉफी बना सकता हूँ बगैर किसी सहायक, किन्तु
ऐसा करता नहीं और वह इसलिये कि मैं अपनी पत्नी को यह एहसास कराता रहता हूँ कि मैं
अपने जीवन में उस पर कितना निर्भर हूँ। वह
मेरे जीवन के लिए आवश्यक नहीं, अपितु अनिवार्य है। उसके पास
एक ऐसी प्रतिभा है जो मेरे पास नहीं। मेरे जीवन की निरंतरता में अंतरंगता उर्फ
निकटता सबसे बड़ा अंग है।
और जब उसने पत्नी से
कारण जानना चाहा तो उत्तर मिला- हांँ मैं खुद भी बाटल खोल सकती हूँ तुम्हारे उपकरण
की सहयता के बगैर, किन्तु कभी नहीं करूँगी,
क्योंकि मैं अपने पति में यह एहसास ज़िंदा और जाग्रत रखना चाहती हूँ
कि वे आज भी शक्ति संपन्न हैं। हमारे सफल एवं सुखी जीवन का यही सबसे बड़ा सूत्र है।
संदेश : अब देखिए हम कई
बार जीवन में आत्मनिर्भर होने का दंभ भरते हैं, किन्तु यह भूल
जाते हैं कि ऐसा करके हम उन लोगों की प्रसन्नता छीन लेते हैं जो हमारे लिए कुछ
करने की चाहत रखते हैं। जरूरी यह नहीं है कि आप क्या कर सकते हैं, बल्कि यह है कि आप उन लोगों को कितना सुख पहुँचा सकते हैं जो कुछ थोड़ा भी
आपके लिए कर सकते हैं। सो कभी मत भूलिए कि दूसरों की प्रसन्नता में ही आपका भी सुख
समाहित है भले ही वह कितना ही छोटा क्यों न हो और आसानी से आपके बस में हो। यही वह
सूत्र है जो हमारे सम्बन्धों को मूल्यवान तथा चिर स्थायी बनाता है। सो आज से आप भी
कद्र करें अपनों की, सच होने वाले सपनों की।
इक पलड़े में प्यार रख
दूजे में संसार,
तौले से ही जानिये
किसमें कितना भार।
सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023, मो. 09826042641, E-mail-
v.joshi415@gmail.com
आपने जीवन के एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला है। बोल कर व्यक्त करने से अपने कार्य से एहसास कराना अवश्य ही अधिक प्रभावी है। हमारी संस्कृति में इसे बचपन से ही सिखाया जाता है, कि संबंध को मजबूत बनाने के लिए आदर, प्रेम एवं सहायता बहुत आवश्यक है।
ReplyDeleteआदरणीय,
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात। आज ही आपने दांपत्य जीवन में युगल के पारस्परिक स्नेह, समर्पण को परिभाषित किया था बहुत सुंदर तरीके से।
होठों से ऊपर है नयनों की भाषा, उसके ऊपर दिल से निकला संवाद, किन्तु सबसे ऊपर है मौन या एहसास की भाषा जिसका उल्लेख आपने किया है।
यही जीवन में सुख और सफलता का सोपान है। सदा की तरह आज भी आपने न केवल तुरंत पढ़ा, अपितु प्रतिक्रिया द्वारा मेरे मनोबल में अभिवृद्धि की।
सो हार्दिक आभार सहित। सादर
परिवार, समाज और संसार में जीने का मूल मंत्र। परस्पर प्रेम, निर्भरता और सहृदयता के अतिरिक्त एक दूसरे को महत्वपूर्ण मानना और उसे इस बात का बोध करना अधिक मूल्यवान और बेजोड़ है। पति पत्नी का उदाहरण अत्यंत सटीक है।
ReplyDeleteइस सुंदर आलेख के लिए साधुवाद।
आ. गुप्ताजी,
ReplyDeleteसही कहा आपने। जिसको यह बोध हो गया, वह बोधिवृक्ष की छांह में बैठे बगैर ही बुद्धत्व को पा गया। विडम्बना तो यह है कि बाहरी आवरण में उलझा आदमी इस सत्य को समझ ही नहीं पाता। हमारे यहां तो दांपत्य को पवित्र सात जन्मों का रिश्ता माना गया है। हार्दिक आभार सहित। सादर
बहुत बड़ी, जरूरी, सुन्दर, महत्व पूर्ण, ऊंची बात, उदाहरण द्वारा, असाधारण, रूप से आसान तरीके से कहने में सिद्ध हस्त जोशी जी को साधुवाद
ReplyDeleteप्रिय मित्र डॉ. श्रीकृष्ण
ReplyDeleteआपका सत्तर के दशक से सतत प्रवाहित बालसखा स्वरूप स्नेह ही मेरी शक्ति है, जिसे मेरे अंतर्मन ने सदा अनुभव किया है। सो सादर आभार
आप का लेख प्रेम से भरा है और इसे अपनी जिंदगी में उतारना जरूरी है। धन्यवाद साहेब उर्फ़ पिताश्री। सादर नमस्कार।
ReplyDeleteप्रिय हेमंत, सफलता का यह सूत्र सुखद परिवार की सफलता का सूत्र है। सस्नेह
Deleteबहुत खूब। धन्यवाद सरजी।
ReplyDeleteआपकी सरलता, सादगी मन को गहराई तक स्पर्श करती है। हार्दिक आभार। सादर
DeleteExactly, Interdependence rather independence is a higher value.
ReplyDeleteBest regards: Sorabh
Dear Sorabh, so nice of you. Please try to follow this mantra. Thanks.
DeleteMan ko Choo जाने वाला lekh hak
ReplyDeleteहार्दिक आभार महोदय
Deleteबहुत शानदार उदाहरण के साथ आपने इस लेख
ReplyDeleteको प्रस्तुत किया है, यह सत्य व अनुकरणीय है 🙏🏼 बहुत बधाई आदरणीय सर 💐
प्रिय रजनीकांत, हार्दिक धन्यवाद। सस्नेह
DeleteVery nice depiction of ideal husband wife relationship
ReplyDeleteSo nice of you Bhai Angshuman, Thanks very much for your liking the philosophy of happy married life. With regards
ReplyDeleteसच है, दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे का महत्व समझना और महत्व देना ही शान्ति और सौहार्द का घटक है 🙏🙏☺️
ReplyDeleteहार्दिक आभार बन्धु. यही स्नेह बना रहे.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेरणादायी आलेख सर.
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्र। अगली बार कृपया Notify Me पर Tick करते हुए Publish को press करेंगे तो google आपको स्थायी रूप से अपनी memory में save करते हुए अनादिकाल तक सुरक्षित रख लेगा। आपका नाम भी खुद ब खुद publish होगा bold स्वरूप में।
Deleteसाथ ही यदि नाम भी लिखेंगे comment के साथ तो मैं कोशिश करूंगा सहायता की। हार्दिक धन्यवाद
एक बात और। केवल पहली बार gmail मार्ग से password पूछकर आपकी प्रमाणिकता google चेक करेगा। Life is learning
ReplyDeleteसम्मान प्यार की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति में से एक है....किसी भी रिश्ते में बढ़ने के लिए यह आवश्यक है.....आपका लेख पढ़कर ऐसा प्रतीत हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण है...🙏.....जयेश
ReplyDeleteजयेश, धन्यवाद। एक बार google route try करो, जैसा ऊपर लिखा है। हार्दिक धन्यवाद। सस्नेह
Deleteबहुत सुंदर लेख सर। बहुत महत्वपूर्ण बात समझाई आपने। प्रेरणाप्रद और अनुकरणीय।
ReplyDeleteआदरणीया, आपने तो हिंदी की अलख जगाई है कॉरपोरेट संसार में। आपका योगदान तो अद्भुत है। हार्दिक आभार। सादर
Deleteआदरणीय सर
ReplyDeleteअत्यंत ही सुंदर संदेश, १००% अनुकरणीय ।
दाम्पत्य जीवन ही नहीं, शायद ये हर रिश्ते के लिए भी फलदायी होगा ।
शिक्षाप्रद, और वो भी अत्यंत सरल शब्दों में ।
साधुवाद ।
प्रिय शरद, तुम तो वड़ोदरा में भोपाल के सांस्कृतिक राजदूत हो। एक बार google route try करो, जैसा ऊपर लिखा है। हार्दिक धन्यवाद। सस्नेह
Deleteसूखी संबंध बनाए रखने के लिए पारस्परिक निर्भरता का अति सुन्दर वर्णन सर ।
ReplyDeleteप्रेरणादायी एवं अनुकरणीय।
साधुवाद।
प्रिय आनंद, तुम्हारी पसंदगी मेरी इस विचार यात्रा का संबल है। सो हार्दिक आभार। सस्नेह
ReplyDeleteVery nice article....Vandana Vohra
ReplyDeleteSo nice of you VandanaJi
DeleteVery touching article sir giving insight to happy married life
ReplyDeleteVery very touching article depicting happy marriage. Kulwantsingh
DeletePradeep Bhai, Thanks and regards
DeleteMy Dear Bhai Kulwant, Thanks and regards
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण एवं अनुकरणीय आलेख । प्रेम का आधार है विश्वास और सम्मान। सुखी गृहस्थ जीवन का मूल मंत्र। बहुत सुंदर उदाहरण के माध्यम से बात समझाई है। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteहार्दिक आभार हृदय से। आपका उदंती के प्रति स्नेह वंदनीय है। सादर
Deleteबहुत ही सुंदर भावनापूर्ण लेख एक दूसरे के प्रति सच्ची भावना और समर्पण जीवन मे आनद देती है
ReplyDeleteइसी समर्पण का सुख तो अद्भुत है परिवार में. हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeleteप्यार में अपनी खुशी से ज्यादा दुसरे की खुशी महत्वपूर्ण होती है। जीवन के संथ्याकाल मे यहीं बात जीने का सहारा बनती हैं।
ReplyDeleteआपका लेख मन को भा गया। धन्यवाद।
प्यार में अपनी खुशी से ज्यादा दूसरों की खुशी अधिक महत्वपूर्ण होती है। आपका लेख मन को भा गया। धन्यवाद।
ReplyDeleteआ. कासलीवाल जी,
ReplyDeleteसबसे ऊंची प्रेम सगाई। दुर्योधन का मेवा त्यागो, साग विधुर घर खाई। आप तो मेरे अग्रज हैं। हार्दिक आभार। सादर
आदरणीय जोशी सर,
ReplyDeleteसादर प्रणाम
सदा सर्वदा की तरह आपका आलेख मन को छू लिया।
आज के बदलते परिवेश में प्रेम का ढाई आखर टूटन के 36 आखर में विखण्डन को तैयार है।
ऐसे में आपकी अद्भुत लेखनी औषधि की तरह सोच सुधार का काम कर रही है।
रोचक,सारगर्भित, अनुकरणीय।
हार्दिक बधाई और ऐसी लेखनी हेतु आभार।
सादर-----
माण्डवी सिंह, भोपाल।
आदरणीया,
Deleteढाई आखर का छोटा सा शब्द ही हमारे जीवन की दशा और दिशा निर्धारित करता है और जितना जल्दी समझ में आ जाए वही हमारा सौभाग्य है। हार्दिक आभार। सादर
Very appropriate tips for a successful married life. It is all the more necessary today's young couples in a nuclear family.
ReplyDeleteThanks very much. Selfless love is essence of life. Kind Regards
ReplyDeleteDear जोशी जी की अद्भुत प्रतिभा, सूक्ष्म दृष्टि , गहरी मानवीय संवेदना को सरल भाषा में प्रकट करने की क्षमता,
ReplyDeleteहम सबके काम की बात चलाना, सब कुछ प्रशंसा के योग्य
S.K.Agrawal, Gwalior
डॉ. अग्रवाल, हार्दिक आभार आपकी सहृयता के लिये. सादर
ReplyDeleteबहुत सुंदर आलेख 👌मूलतः दूसरे पर निर्भर न होते हुए भी निर्भरता दिखाने के लिए अहंकार का त्याग अत्यंत आवश्यक है। परस्पर प्रेम और आदर स्वयमेव निहित है इस भाव में। मालूम होते हुए भी
ReplyDeleteऐसे आलेख पुनःस्मरण कराने में सहायक सिद्ध होते हैं
आदरणीया, बिल्कुल सही कहा आपने. अहंकार की अंग्रेजी परिभाषा भी बहुत सुंदर है EGO i.e. Edging God Out अर्थात अहंकार अंदर ईश्वर बाहर. हार्दिक आभार सहित सादर
ReplyDeleteबहुत सुंदर! हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार सहित सादर
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