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May 1, 2022

जीवन दर्शन- मार्श मेलो थ्योरी- धैर्य की धारणा

-विजय जोशी
 पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)

जीवन में कर्म के पथ पर हमारा प्रयास शीघ्रातिशीघ्र सफलता प्राप्त करने का होता है। पर इसमें अनेक बार अवरोध भी अनिवार्य हैं, जिनका प्रयास हमारे मनोबल को तोड़कर हमें विफलता की ओर धकेलने का होता है। ऐसे पलों में हमारा प्रयास तो होना चाहिए बगैर धैर्य खोए समस्या के समाधान का, लेकिन यह इतना आसान भी तो नहीं है। मुसीबत के समय हम अमूमन बहुत जल्दी घबरा कर धैर्य खोने लगते हैं तथा इस तरह समस्या से पार पाने की क्षमता खो देते हैं।

    एक बार एक शिक्षक ने इस दिशा में प्रयोग के अंतर्गत छात्रों को स्वादिष्ट टॉफी देते हुए कहा कि दस मिनट की प्रतीक्षा के बाद ही इसे छूना है और यह कहते हुए वे बाहर चले गए। कक्षा में सन्नाटा छा गया। टॉफी की सुगंध सर्वत्र व्याप्त थी। खुद को रोक पाने का हर पल कठिन लग रहा था। समय समाप्ति पर जब शिक्षक कक्षा में वापिस लौटे तो पाया कि केवल सात ऐसे छात्र थे जिन्होंने टॉफी को छुआ तक न था। शेष सब स्वाद, सुगंध एवं  रंग की चर्चा में व्यस्त थे। शिक्षक ने जिनका नाम प्रोफेसर वाल्टर था सातों के नाम अपनी डायरी में लिख लिए।

  कुछ वर्षों बाद प्रोफेसर ने जब उन सात छात्रों के बारे में जानकारी एकत्र की तो पता चला कि वे सब अपने अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर चुके थे, जबकि शेष सब एक आम आदमी का जीवन जीते हुए कठिनाइयों से बावस्ता थे।

   अब प्रोफेसर वाल्टर ने ने जो निष्कर्ष निकाला वह अद्भुत था और वह यह कि जो आदमी अपने जीवन में दस मिनट तक भी धैर्य नहीं रख सकता वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता। इस शोध को मार्श मेलो थ्योरी के नाम से शोहरत प्राप्त हुई, क्योंकि प्रोफेसर वाल्टर ने छात्रों को जो टॉफी दी थी उसका नाम मार्श मेलो था।

    बात का निष्कर्ष मात्र इतना है कि धैर्य का गुण आदमी के सहन करने की सीमा को सहनशक्ति में परिवर्तित कर देता है, जिसके कारण वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी निराश या विचलित नहीं होते हुए एक असाधारण व्यक्तित्व बन जाता है।

यदि बाधाएँ मिलीं हमें तो उन बाधाओं के ही साथ जिनसे बाधा बोध न हो वह सहनशक्ति भी आई हाथ।

सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल- 462023, मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com

40 comments:

  1. Anonymous03 May

    आपने एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला है। धैर्य मनुष्य का वह गुण है जो बाधाओं को पार करने की राह के बारे में सोचने का समय देता है। साधुवाद!

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  2. Anonymous03 May

    देवेन्द्र जोशी

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    1. आदरणीय, आप तो मेरे प्रथम पूज्य गणेश रूपी पाठक है। इस विचार यात्रा पथ के प्रेरक और मार्गदर्शक दोनों। सो सादर साभार : अंतर्मन से आभार

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  3. बिल्कुल सही कहा सर, धैर्य के साथ उन बच्चों में बड़ों की आज्ञा पालन व अनुशासन भी था जो उन्हें आगे चलकर बड़ा बनने में सहायक सिद्ध हुआ. धैर्य एक मानवीय गुण है 💐💐
    अच्छे उदाहरण के साथ इसका उल्लेख किया..बधाई सर 🙏🏼

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    1. प्रिय रजनीकांत, हार्दिक आभार। सस्नेह

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  4. Anonymous03 May

    Very inspiring writing Sir

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  5. Anonymous03 May

    बाधाएं हमे जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहसी बनाती है सपाट रास्ते पर चलने में जो आनंद है वह सपाट रास्ते पर नही

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    1. बाधा से पार पाने का भी अपना सुख है। शक्ति और साहस का प्रतीक। सादर

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  6. Anonymous03 May

    टेढ़े मेढे रास्ते पर चलने मैं जो आनंद है वो सपाट रास्ते पर नही बाधाएं हमे जीवन में साहसी बनाती है

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    1. बिल्कुल सही बात। इसका अनुभव अलभ्य है सादर

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  7. Anonymous03 May

    कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखना हमारे अंदर आत्मविश्वास पैदा करता है और यही वह कौन होते हैं जो जीवन में आप को आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं आपने बच्चों एवं युवाओं के लिए निश्चित रूप से एक प्रेरक संदेश दिया है

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    1. हार्दिक आभार बंधु। सादर

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  8. मार्श मेलो का प्रयोग सचमुच ही सुखद है। यह वैज्ञानिक प्रयोग इस कारण भी महत्वपूर्ण है कि इसके आलोक में शास्त्रीय मान्यता को बल मिलता है। जब हमारे बुजुर्ग किसी को कठिन परिस्थिति में पड़ा देखकर यह कहते थे कि कभी कभी ईश्वर परीक्षा लेते हैं तो मुख्यतया वे धैर्य धारण की बात ही अन्य प्रकार से करते थे।
    मार्श के प्रयोग से एक बात और भी स्पष्ट होती है कि धैर्य का अर्थ है हमारी मानसिक शक्ति। यदि हम मानसिक रूप से निर्बल हैं तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता कठिन हो जाएगी।
    पुनश्च, इस कहानी से यह सीख भी मिलती है कि हमें मान्य अथवा बहुत प्रचलित सिद्धातों पर इस प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग करते रहने चाहिए जिससे कि उस सिद्धांत के व्यवहारिक पक्ष को बैज्ञानिक तरीके से नई पीढ़ी को हस्तांतरित कर सकें।
    मुझे इस कहानी की जानकारी नहीं थी। अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिए धन्यवाद। बहुजन हिताय इस को प्रकाशित करने के लिए साधुवाद।

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    1. आदरणीय गुप्ताजी,
      आप तो सचमुच बहुत विद्वान हैं। साहित्य के क्षेत्र में आपका योगदान तो नल नील सदृश्य है। मेरा तो गिलहरी सदृश्य भी नहीं। मेरा प्रयास तो मैटर को ऊबाऊ होने से बचाने के लिये कोई प्रसंग समाहित करने तक सीमित है। आप प्रेरणा पुरुष हैं मुझ जैसों के लिये। सो हार्दिक हार्दिक आभार सहित। सादर।

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  9. बिल्कुल ठीक बताया सर।उपयोगी जानकारी🙏

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    1. भाई मुकेश, हार्दिक आभार। सस्नेह

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  10. Anonymous03 May

    उत्साह वर्धक प्रसंग है जीवन मेंकठनायियों के होते हुए भी अग्रसर होते रहने की सीख मिलती है

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    1. हार्दिक धन्यवाद मित्र सादर

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  11. Sorabh Khurana03 May

    अति उत्तम लेख।
    धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होए।
    माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए।

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    1. धीरज धर्म मित्र अरु नारी
      आपत काल परखिये चारी
      (गोस्वामी तुलसीदास )
      सौरभ, सस्नेह

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  12. सच कहा आपने गुरुजी


    साँईं भी कहते है श्रद्धा और सबूरी ।

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    1. प्रिय चंद्र, यह सफलता का सरलतम सूत्र है. सस्नेह

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  13. Anonymous04 May

    बहुत बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक धन्यवाद. सादर

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  14. Anonymous04 May

    बिलकुल सही बात है सर, धैर्य को धारण कर के साधारण व्यक्ति भी असाधारण परिणाम दे सकता है, बल्कि साधारण और असाधारण व्यक्तियों में धैर्य ही एक महत्वपूर्ण अंतर है ।
    धैर्यवान एवं गुणवान व्यक्तियों का यदि विश्लेषण किया जायें तो निश्चित रूप से धैर्यवान व्यक्ति ही जीवन में ज्यादा सफल मिलेंगे, ऐसा मेरा व्यक्तिगत अनुभव भी है ।

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    1. महोदय, आपका हार्दिक धन्यवाद. सादर

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  15. Suresh Kasliwal04 May

    'मार्श मेलों थ्योरी' तो 1972 में आयी। हमें तो पहले ही पता था, सब्र का फल मिठा होता है।

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    1. आदरणीय कासलीवाल जी, अच्छी बातों का रिविज़न व नई पीढ़ी से साझा.करने का विनम्र प्रयास. हार्दिक आभार..सादर

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  16. अद्भुत अंदाज

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    1. हार्दिक आभार श्री कृष्ण भाई. सादर

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  17. Patience is ultimate guide for life. Kudos for touching this subject. 👏👏👍

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  18. बहुत ही अच्छे ढंग से सहनशीलता पर आपने हमेशा की तरह लिखा है। सादर नमस्कार व चरण स्पर्श।

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    1. प्रिय बंधु हेमंत, हार्दिक आभार सहित

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  19. Sudesh Gaur11 May

    इतनी बड़ी बात सहज, सरल, रोचक व सुग्राह्य तरीके से आपने जो बताई वह युवाओं को निर्विवाद रूप से आकर्षित करेगी।युवाओं ही नहीं आप हमारे भी प्रेरणास्त्रोत हैं।🙏🙏

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    1. आदरणीय सुदेशजी,
      आप तो स्वयं इतने बड़े दैनिक के संपादक रहे हैं तथा आपके सहयोग से कई सामाजिक सरोकार प्रयास प्रदेश में सफल हो सके।
      इतनी छोटी बात का बड़ा मर्म समझा आपने। आपकी राय निःसंदेह मनोबल वृद्धि में सहायक रहेगी।
      सादर साभार अंतर्मन से आभार सहित

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    2. Anonymous13 May

      🙏🙏

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