-वीणा विज ‘उदित’
बच्चों की दिसंबर की छुट्टियों में हमने मद्रास और रामेश्वरम जाने का प्रोग्राम बना लिया था। रेलगाड़ी का लंबा सफर! पर हम सब हर तरह से तैयार थे।
दिल्ली से सीधे हम मद्रास (चेन्नई ) गए ।
वहाँ मेरी भाभी की बहन रहती थीं। उनकी बेटी ‘सपना’ दक्षिण भारतीय फिल्मों की और
बॉलीवुड की एक्ट्रेस थी। ‘फरिश्ते’ हिंदी
फिल्म में भी वह रजनीकांत के ऑपोजिट थी । उसके ब्लैक एंड वाइट आदम कद फोटोज़ से घर
की दीवारें भरी थी । जिससे उनका घर कुछ अलग ही लग रहा था बच्चों को वहाँ बहुत
अच्छा लगा, यह सब देखकर।
वहाँ से हम महाबलीपुरम और गोल्डनबीच गए, जो समुद्री तट था । जहाँ एक तामिलियन फिल्म की शूटिंग चल रही थी। ढेरों मटकों से सेट को सजाया गया था । दूसरी ओर
भी अलग सेट लगे हुए थे। गोल्डन बीच शूटिंग के लिए मशहूर है; क्योंकि
वह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
अगले दिन हम सब मिलकर मद्रास के ‘मरीना
बीच’ गए । वहाँ तमिल गरीब महिलाएँ जगह-जगह स्टोव पर कच्चे केले के चिप्स तलकर बेच
रही थीं गरमा गरम। इससे वहाँ गंदगी हो गई थी। हमें वह बीच बिल्कुल पसंद नहीं आया ।
लगा,
समुद्र का किनारा और काली चट्टानों पर सिर पटकती लहरें अपना ही राग
अलाप रही थीं... जबकि महाबलीपुरम का ‘गोल्डन बीच’ मनभावन लगा था। वहाँ समुद्र की
लहरें समुद्र की छाती पर कलोल करती हुई मधुर संगीत सुना रही थीं।
लो जी अब, मद्रास
से हम दक्षिण पूर्व किनारे 375 किलोमीटर दूरी पर रामेश्वरम के
लिए ट्रेन में बैठ गए थे। बच्चों के साथ रामायण की बातें करते रहे और प्रभु राम का
स्मरण होता रहा । हम बहुत भाग्यशाली थे जो उस जगह पर जा रहे थे जहाँ प्रभु राम के
कभी चरण पड़े थे। श्री नरेश मेहता जी की
‘संशय की एक रात’ लंबी कविता भी मेरे दिमाग में घूम रही थी!
भारत की धरती पर समुद्र किनारे ‘मंडपम’
शहर में पहुँचने पर रामेश्वरम जाने के लिए हमें ‘पंबन द्वीप’ जाना था। वहाँ जाने
के लिए हमें समुद्र पर बने एक लंबे पुल को ट्रेन से पार करना था। यह एक ‘रेल
समुद्री पुल’ था , जो 2000
मीटर लंबा था । इस पुल के दोनों और रेलिंग भी नहीं थी। देखने से ही डर लग रहा था ।
उन्होंने बताया कि यह दुनिया में सबसे लंबा और खतरनाक समुद्री पुल है यह 1914 में अंग्रेजों ने बनाया था। चारों ओर पानी ही पानी दिखता था केवल पानी और
बीच में हमारी ट्रेन!!
‘जब ओखली में सिर दिया
तो मूसल से क्या डरना?’
सो बैठ गए, उस हिलते -जुलते पुल के ऊपर चलती
ट्रेन में हम सब। बंगाल की खाड़ी का नीला समुद्र और ऊपर स्वच्छ नीला आकाश... दूऽ ऽ
र तक यही था! गाड़ी जरा भी हिलती तो, स्वाभाविक है सब को डर लगता था
(आखिर जान से बढ़कर क्या है?) लेकिन, यह
मन का वहम था, जो लहरों के उफान को देखकर हो रहा था। थोड़ी
ही देर में हम इसके अभ्यस्त हो गए थे। पुल के बीचों-बीच छोटे समुद्री जहाज के
निकलने के लिए ज्वाइंट था। जो जहाज को रास्ता देने के लिए खुल जाता था । तब ट्रेन
जहाँ की तहाँ खड़ी हो जाती थी और उस में बैठकर जहाज निकलने का इंतजार करना होता
था। यह भी दिलचस्प नजारा था। ऐसा हम पहली बार देख रहे थे। इसे ‘Rail Ship Sea Bridge’ भी कहते हैं।
पंबन द्वीप में पहुंचकर होटल में सामान रखकर
हम लोग सीधे रामेश्वरम के ‘रामानाथा स्वामी मंदिर’ में भगवान शिव के दर्शन के लिए चल पड़े थे
।वहाँ पहले समुद्र में स्नान करना होता है, फिर मंदिर में दर्शन करने जाते
हैं। हम सब ने भी पहले समुद्र में स्नान किया, फिर भीतर रुख़
किया ।
ईश्वर की इस लीला पर मैं नतमस्तक हो,
एक पंडित जी ने बताया कि इस ज्योतिर्लिंग का
महत्त्व 4 पीठों में से एक माना जाता है । काशी पीठ के दर्शन की तरह दक्षिण में
रामेश्वरम के शिवलिंग दर्शन का महत्त्व है।
हमारा अगला दर्शनीय स्थल था ‘गंधामाधाना
पर्वतम्’!
जो
हमारे होटल से तीन-चार किलोमीटर पर था । अगले दिन हम वह देखने गए । यह वह पर्वत है, जो अब दो मंजिला मंदिर के रूप में स्थापित है। जिसे हनुमान रामायण वर्णित घटना... लक्ष्मण के
बेहोश होने पर संजीवनी बूटी के लिए हिमालय से कंधे पर उठाकर लाए थे। यहाँ पर एक चक्र के ऊपर श्री राम भगवान के
पैरों के निशान बने हैं और उसकी बहुत मान्यता है ।
रामेश्वरम में यह सबसे ऊँची जगह है ।जहाँ से
पूरा रामेश्वरम दिखता है लगता था अनगिनत सीढ़ियाँ चढ़ते जा रहे हैं लेकिन ऊपर
पहुँचकर ठंडी हवा के झोंकों में स्थिर रहना मुश्किल हो रहा था, लगता था खड़े रहे तो हवा के झोंके हमें साथ ही उड़ा कर ले जाएँगे सो हवा
की दिशा देखते हुए हम सब इकट्ठे होकर मंदिर के चारों तरफ बने चबूतरे पर बैठ गए
थे। श्री राम के चरणों में बैठना सुखद और
स्वर्गीय अनुभव था।
जिन दिनों पंजाब में ठंड से बुरा हाल होता है, वहाँ गर्मी लग रही थी और ठंडी
हवा के झोंके मदमस्त कर रहे थे। वहीं हमने जो कुछ खाने को साथ लाए थे , बैठकर खाया और दो-तीन घंटे बिताकर वापस होटल आ गए थे।
तमिलनाडु राज्य का विस्तारपूर्वक भ्रमण करके
आत्म संतुष्ट होकर हम लौट आए थे पंजाब ! भविष्य में कन्याकुमारी में भारत माता के
चरणों पर माथा टेकने के सपने संजोए और स्वामी विवेकानंद के मेडिटेशन सेंटर देखने
की आस लिए...!
सम्पर्कः 469-R, Model Town. Jalandhar 144003, Mobile..9682639631
शुरू से अंत तक रोचकता लिए सुंदर यात्रा वृतांत ....
ReplyDeleteबहुत रोचक संस्मरण, खास तौर से समुद्र के बीच से रेल और मंदिर में पूजा का प्रसंग...। पूजा वाले प्रसंग जैसा एक अद्भुत किस्सा मेरी मां के साथ भी हुआ था, प्रभु की लीला अपरम्पार ।
ReplyDeleteरोचक संस्मरण की बधाई