उदंती.com

Nov 1, 2021

कविताः अपनी दीवाली

-डॉ. उपमा शर्मा

मन के घृत को नित्य जलाकर

दृग से कितना नीर बहाकर

सुधियों के थे दीप जलाए

जब आओगे तुम घर अँगना

दीवाली अपनी तब आए।। 

 

अँधियारा अंतस में फैला 

नखत कहीं बैठे हैं छिपकर

चंचल नयना राह तकें अब

कब आओ दुश्मन से लड़कर

आस के जुगनू चमक सके न

 बैठी पथ में दीप जलाए

जब आओगे तुम घर अँगना

दीवाली अपनी तब आए। 

 

बाबा नित ही बाट निहारें

अम्मा तकें सूनी देहरी

बच्चे कहते पापा आओ

मैं करती राहों की फेरी

मन उजियारे सूने सारे

कौन खुशी के दीप जलाए

जब आओगे तुम घर अँगना

दीवाली अपनी तब आये। 

सम्पर्कः बी-1/248, यमुना विहार, दिल्ली, 110053, मोबा न. 8826270597

1 comment:

  1. सात्विक भावपूर्ण कविता।

    ReplyDelete