-डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
आया है रंगीला मौसम,
कैसा
छैल-छबीला मौसम।
सब्ज
धरा के अंग -अंग पर,
लाल, गुलाबी , पीला मौसम।
बागों
में बौराया डोले,
सुन्दर, खूब सजीला मौसम।
आकर
बैठ गया धरने पर,
देखो
आज हठीला मौसम।
आँखों
में अक्सर रहता है,
सूखा
कभी पनीला मौसम।
धोखा
देकर इन कलियों को,
भाग
गया फुर्तीला मौसम।
वो
देखें तो मुझपर छाए,
जाने क्यों शर्मीला मौसम।
सम्पर्कः वापी, गुजरात
मनहर प्रस्तुति💐💐👌👌💐💐
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गुंजन जी 🌷🙏
Deleteबहुत सुंदर गीत!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रीति जी 🌷🙏
Deleteरचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार रत्ना जी 💐🙏
ReplyDeleteबहुत सरस,मनभावन
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteEnthralling 😍
ReplyDelete