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Jun 6, 2020

दस्तक दे दी है

दस्तक दे दी है 
- शशि पाधा

दस्तक दे दी है 
फिर से
वसंत ने 
उसे शायद पता नहीं 
कि
धरती जूझ रही है
अनजान दुश्मन से
पहाड़ खड़े हैं
हैरानबेजान
नदियाँसागर
पूछ रहे हैं
जटिल  प्रश्न
हाथ मलता देख रहा है 
आसमान
और दुश्मन
चुपके से कर रहा है
 प्रहार,आघात
ओ रे वसंत!
तुम्हारे पास तो होगी न 
कोई छड़ी, जादू की....
सुन रहे हो न ???
 वह छड़ी घुमा दो
जितने भी पतझरी प्रयास हैं,
उन्हें भगा दो !

2 comments:

  1. उत्तम कविता आदरणीय शशि जी

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  2. शशि जी बहुत सकारात्मक , प्यारी कविता है । बधाई।

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