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Oct 22, 2013

मिट्टी का दिया

मिट्टी का दिया   
- डॉ. सुधा गुप्ता  
1.
मैं/मिट्टी का दीया
बड़ी मेहरबानी!
इस दीवाली
तुमने जला दिया
और/यूँ/अपना
जश्न मना लिया...  
2. इन्तज़ार
पलकों पर काँपते  
आँसुओं की बन्दनवार
कि/पुतली की रोशनी में
झिलमिलाते/दीयों की कतार...
3. चली गई
गुलाब की नन्हीं कली
तोड़, तुम्हारे बालों में
सजा दी
उँगली में चुभा काँटा
रहा याद दिलाता
कि तुम चली गई...
4. गुम
मुद्दत बाद
तुम्हारे शहर आना हुआ
धड़कते दिल से
मौहल्ला, गली ,मकान
खोज डाला/सब कुछ
वही था।
जस का तस
सिर्फ तुम थे गुम...      
5. गुरबानी
नहा-धोकर
ऊषा ने खोले
पावन द्वार
निराले पंछी
मधुर स्वरों में
गाते गुरबानी।
6. चिडिय़ा
घर
तिनके, धागे
कतरन, पर
नन्ही चिडिय़ा ने
बना लिया
घर।
7. रात - माँ
बड़ी, परेशान  थी
रात- माँ
सर्दी न खा जाएँ कहीं 
शरारती बच्चे तारे -
कोहरे का कम्बल ओढ़ा कर
ऊँचे पलँग पर 
बैठा दिया हैं....
8. सिर्फ
फूल का हृदय
बींधते समय
ख्याल
सिर्फ ,
अपनी अँगुली का रहा...।                                                                                                                                       सम्पर्क:  'काकली’ 120 बी/2, साकेत , मेरठ-250 003  मो. 9410029500

3 comments:

  1. सभी क्षणिकाएँ अतिसुंदर! कोमल भाव लिए दिल को कहीं भीतर तक छू गयीं!
    सुधा दीदी की लेखनी को नमन!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. Anonymous30 October

    Sudha ji ki sashakt lekhni se jo bhi rachit hota hai bemisal hi hota hai, yun to sabhi kshanikayen bahut prabhavshali lekin "Gum" aur "Sirf" kuch jada hi khas lagi.


    Manju

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  3. sudha ji sabhi kshanikaye mann me sundar bhaavnaon ka pravaha karti hai!!! karbadhh pranaam

    jyotsana pradeep

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