tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post8254112904041213856..comments2024-03-19T18:52:57.849+05:30Comments on उदंती.com: कहां गई आंगन में फुदकने वाली गौरैया?udanti.comhttp://www.blogger.com/profile/16786341756206517615noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-5635337949394378042016-04-12T17:56:08.461+05:302016-04-12T17:56:08.461+05:30कृष्ण कुमार जी का आर्टिकल अच्छा लगा ।बड़े वुजुर्ग...कृष्ण कुमार जी का आर्टिकल अच्छा लगा ।बड़े वुजुर्ग तो इन गौरैयों की खेल कूद से मौसम की जानकारी भी बता देते थे ।ये टीवी रेडियो जब कम मात्रा में थे ।कुदरत के यह नन्हें परिंदे ही तो अपनी मधुर चहचहाहट से वातावरण को गुंजायमान रखते थे ।अफसोस आज की नई पीढी इसके आनंद से बंचित है ।आगे बढ़ने का यह अर्थ नहीं कि सृष्टि की सुन्दरता का हरण करलें ।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05248473740018889298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-4110966043114696302016-03-20T15:15:33.208+05:302016-03-20T15:15:33.208+05:30दोस्तों
गौरैया के संरक्षण और संवर्धन के लिए बहुत स...दोस्तों<br />गौरैया के संरक्षण और संवर्धन के लिए बहुत सार्थक काम करना होगा, ब्लॉग लिखने या महानगरीकरण और टावरों को ही जिम्मेदार ठहराने से कुछ नहीं होगा. और न ही खाली गौरैया दिवस मनाने से बात बनेगी. महानगरीकरण, टावरों के रेडियेशन, कीटनाशक आदि को चुनौती मान कर गौरैया को बचाने-बढ़ाने के विकल्प खोजने होंगे.<br />दोस्तों मैंने कुछ छोटे-छोटे प्रयास किये हैं जिन्हें साझा करना चाहता हूँ. <br />आप मेरे इन प्रयासों को मेरे फेसबुक drnkneelam@facebook.com (nandkishore neelam) <br />और ब्लॉग http://nandneel.blogspot.in/2013/04/blog-post_9.html <br />आरोहण: जरूर लौटेगी गौरैया....<br />NANDNEEL.BLOGSPOT.COM<br />पर देख सकते हैं.नंदकिशोर नीलमhttps://www.blogger.com/profile/03233395700215518607noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-46764293571997986102010-07-02T18:25:41.760+05:302010-07-02T18:25:41.760+05:30it is very good artical and very close in my life....it is very good artical and very close in my life.Anonymousnoreply@blogger.com