tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post7894996916756741362..comments2024-03-19T18:52:57.849+05:30Comments on उदंती.com: खेतीudanti.comhttp://www.blogger.com/profile/16786341756206517615noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-7336021141269273092013-02-26T23:22:39.582+05:302013-02-26T23:22:39.582+05:30very nice ....n reality of farmer ....very nice ....n reality of farmer ....अजनबी -सत्यhttps://www.blogger.com/profile/17490027918243777154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-78828402784578799252013-02-26T22:48:37.023+05:302013-02-26T22:48:37.023+05:30very nice .....and reality .....very nice .....and reality .....अजनबी -सत्यhttps://www.blogger.com/profile/17490027918243777154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-45788758596220968062013-02-26T22:30:29.120+05:302013-02-26T22:30:29.120+05:30very nice brother ...its really very nice n i got ...very nice brother ...its really very nice n i got many points from ur article .....great ...अजनबी -सत्यhttps://www.blogger.com/profile/17490027918243777154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-70387166427557346412013-02-26T21:08:33.734+05:302013-02-26T21:08:33.734+05:30अमित जी आपने बात तो सौ आना सही कही है. लेकिन इस दे...अमित जी आपने बात तो सौ आना सही कही है. लेकिन इस देश में जहा शासन कान में रुई लगाकर बैठा है, किसानो को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ेगी. यहाँ मै कानपुर देहात के किसानो के बारे में कुछ तथ्य रखना चाहूँगा. कानपुर देहात गंगा और यमुना के बीच का वोह मैदानी भाग है जिसे भुगोल में सबसे ज्यादा उपजाऊ कहा गया है. येंहा की जमीन सभी प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त है और किसी ज़माने में धान और गन्ने की खेती बहुतायत में की जाती थी. लेकिन सरकारी उदासीनता ने गन्ने की खेती में लगभग विराम लगा दिया है. यहाँ की सभी नहरे अब सूख चुकी है और पानी के लिए पूरी तरह से पम्पस पर निर्भर है. खेती की लागत इतनी ज्यादा बाद गयी है की नयी पीड़ी पूरी तरह से पलायन कर गयी है. खेती करना आज की तारीख़ में घाटे का सौदा हो गया है. इस सब के लिए किसान भी कुछ हद तक जिम्मेदार है. किसानो ने न तो खेती करने के तरीके बदले न ही कोई अलग फसल उगने की कोसिस की. आज का किसान पूरे सीजन में १०-१५ दिन काम करके बाकी दिन जुआ खेलने में व्यस्त रहते है. अब तो कोई चमत्कार ही यहाँ के किसानो के हालत सुधार सकता है.Punit Sachanhttps://www.blogger.com/profile/14581904741029055080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-17376411752051031132013-02-26T10:18:07.049+05:302013-02-26T10:18:07.049+05:30विचार बहुत अच्छे हैं लेख भी अति सुन्दर सराहनीय ए...विचार बहुत अच्छे हैं लेख भी अति सुन्दर सराहनीय एवं तथ्यात्मक है . बस एक कमी है लेख का अंतिम छोर नकारात्मकता से भर गया है लेख में किसानों की मजबूरियों को सही से उकेरा गया है परन्तु कोई समाधान नहीं बताया गया है .<br />वेद प्रकाश Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15353227247769858546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-11411639260429311942013-02-26T00:51:45.061+05:302013-02-26T00:51:45.061+05:30बोईन ऊख बहुत मन हरसा, किहिन हिसाब बचा का सिरका !
भ...बोईन ऊख बहुत मन हरसा, किहिन हिसाब बचा का सिरका !<br />भाई ये कहावत मैं बहुत वर्षों से सुनते आ रहा हूँ ।<br />कृषि और कृषक की जिस विडंबना और समस्या को आप लगातार रेखांकित करते आ रहे हैं इसके तार मुझे बहुत उलझे लगते हैं । आपका लेख उन उलझनों को सुलझाने कि दिशा में एक सार्थक पहल लगता है ।<br />anagarhhttps://www.blogger.com/profile/01306638929305582087noreply@blogger.com