tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post5762162251579512453..comments2024-03-19T18:52:57.849+05:30Comments on उदंती.com: अनकहीः संवेदनाएँ अभी मरी नहीं हैं....udanti.comhttp://www.blogger.com/profile/16786341756206517615noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-61065367114378583532021-04-13T18:51:32.734+05:302021-04-13T18:51:32.734+05:30'विश्व विरासत दिवस' के साथ समसामयिक संदर्भ...'विश्व विरासत दिवस' के साथ समसामयिक संदर्भों पर चिंतनपरक सुन्दर, सारगर्भित आलेख, हार्दिक बधाई।ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-60063057801720718812021-04-08T16:19:39.746+05:302021-04-08T16:19:39.746+05:30सुंदर आलेख,निःसन्देह अपनी विरासत को बचाने के लिये ...सुंदर आलेख,निःसन्देह अपनी विरासत को बचाने के लिये हमें विवेकपूर्ण ढंग से अपने आचरण व्यवहार को नियंत्रित करना होगा।शिवजी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/11658195805454614870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-91785003832354068642021-04-08T09:18:23.818+05:302021-04-08T09:18:23.818+05:30बिल्कुल सही कहा आपने. आदमी जब स्वयं को प्रकृति से ...बिल्कुल सही कहा आपने. आदमी जब स्वयं को प्रकृति से ऊपर समझने लगता है तो वह भी उसे एक पल में उसकी औकात दिखा देती है. <br />लहर दो लापरवाही का ही नतीजा है जिसने सबके प्राण संकट में डाल दिये. पर आदतें फिर भी वही हैं. <br />अब विज्ञान भी क्या कर लेगा. सबको सन्मति दे भगवान. सामयिक सोच तथा संपादकीय दोनों के लिये हार्दिक बधाई. सादरविजय जोशीhttps://www.blogger.com/profile/12404983250204309547noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-51646851086702341292021-04-07T13:35:48.097+05:302021-04-07T13:35:48.097+05:30बहुत सुंदर विचार। बहुत सुंदर विचार। Sudershan Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/04520376156997893785noreply@blogger.com