tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post3441160036625969657..comments2024-03-19T18:52:57.849+05:30Comments on उदंती.com: हसना मना है!udanti.comhttp://www.blogger.com/profile/16786341756206517615noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4535413749264243925.post-66644163550709132572012-06-22T22:59:37.027+05:302012-06-22T22:59:37.027+05:30सहिष्णुता लोकतन्त्र की रीढ़ है । धार्मिक विश्वास ह...सहिष्णुता लोकतन्त्र की रीढ़ है । धार्मिक विश्वास हो या राजनैतिक क्रिया कलाप । आज़ादी के बाद क असबसे दु:खद पहलू है लोकतान्त्रिक मूल्यों का विघटन । यही कारण है कि क्षुद्र राजनीति से लेकर अफ़सर साही के हथकण्डो तक , आम आदमी को नही वरन नेताओं और अफ़सरों की सहन्शीलता पूरी तरह स्वार्थ केन्द्रित हो चुकी है । वोट की राजनीति का खेल इतना निम्न स्तरीय हो गया है कि , ज़रा-सी बात पर हल्ला मचाना ही हमारा चरित्र बन गया है । आपात्। स्थिति हटने के बाद हिन्दी केस्कूली पाठ्यक्रम से निराला की कविता ' कुत्ता भौंकने लगा ' हटाई गई , कभी 'रोटी और संसद-( धूमिल की कविता को हटाया गया । आज ऐसे विश्वविद्यालय भी हैं जहाँ पुरानी और बेजान कविता ही पढ़ाई जा रही हैं। वहाँ सबसे बड़ा डर है कि न जाने कब , कौन किस बात पर हल्ला बोल कार्यक्रम आयोजित कर बैठे । दाग़दार को सबसे बड़ा डर रहता है ,अत: वह सीधे लोक तन्त्र पर खतरा बताने लगता है, जबकि उस तन्त्र में रोज़मर्रा पिसते हुए उस लोक का दर्द इन बहरे कानों तक नहीं पहुँचता । आने वाली पीढ़ी का दिमाग़ कितना विषाक्त कर दिया जाएगा , इसे सोचकर हैइ डर लगता है । आपने अपने इस लेख में मुद्दे को जिस तरह से पेश किया है ,उससे नासमझ लोगों के दिमाग की खिड़कियाँ खुल जानी चाहिए ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com