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May 1, 2023

कविताः 7 मई रवीन्द्र जयंती- इस नैया का और खिवैया


- रवीन्द्रनाथ टैगोर

अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार

अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार

इस नैया का और खिवैया, वही करेगा पार ।

आया है तूफ़ान अगर तो भला तुझे क्या आर

चिन्ता का क्या काम चैन से देख तरंग-विहार ।

गहन रात आई, आने दे, होने दे अंधियार–

इस नैया का और खिवैया वही करेगा पार ।


पश्चिम में तू देख रहा है मेघावृत्त आकाश

अरे पूर्व में देख न उज्ज्वल ताराओं का हास ।

साथी ये रे, हैं सब “तेरे”, इसीलिए, अनजान

समझ रहा क्या पायेंगे ये तेरे ही बल त्राण ।

वह प्रचण्ड अंधड़ आयेगा,

काँपेगा दिल, मच जाएगा भीषण हाहाकार–

इस नैया का और खिवैया यही करेगा पार । 


1 comment:

शिवजी श्रीवास्तव said...

रवींद्रनाथ टैगोर जी की महत्त्वपूर्ण ,प्रेरक कविता