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Jan 1, 2023

चोकाः मैं सूरज हूँ


- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 

मैं सूरज हूँ

अस्ताचल जाऊँगा

भोर होते  ही

फिर चला आऊँगा

द्वार तुम्हारे

किरनों का दोना ले

गीत अर्घ्य दे

मैं गुनगुनाऊँगा

रोकेंगे लोग,

न रुकूँगा  कभी मैं

मिटाना चाहें

कैसे मिटूँगा भला

खेत-क्यार में

अंकुर बनकर

उग जाऊँगा

शब्दों के सौरभ से

सींच-सींच मैं

फूल बन जाऊँगा

आँगन में आ

तुमको रिझाऊँगा

छूकर तुम्हें

गले लग जाऊँगा

दर्द भी पी जाऊँगा।

3 comments:

Sonneteer Anima Das said...

अत्यंत सुन्दर सार्थक भावपूर्ण.. हृदयस्पर्शी सृजन सर 🌹🙏आपकी लेखनी अंतस को सदैव स्पर्श करती है 🌹🙏😊

Deepalee thakur said...

कितना सुंदर चौका ।

Anonymous said...

बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका। हार्दिक बधाई