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Aug 1, 2022

कविताः युद्ध के मोर्चे से चिट्ठियाँ

- हरभगवान चावला

युद्ध के मोर्चे से आने वाली चिट्ठियों में 

अलग-अलग तरह की गंध होती थी 

किसी चिट्ठी में बारूद की गंध 

किसी में जंगल की बारिश की 

किसी में रास्ते की धूल की 

किसी में दर्द निवारक दवा की 

किसी चिट्ठी में ख़ून की गंध 

किसी में बंकरों की सीलन की 

इन चिट्ठियों में आवाज़ें भी थी-

गोलियों की 

बमों की 

चीखों की 

कराहों की 

इन चिट्ठियों में 

मातमी सन्नाटा भी सुनाई देता था 

इन चिट्ठियों को पाने वाले 

हमेशा आशंकित रहते थे 

कि कहीं उनकी लिखी 

चिट्ठियों की जगह

कोई चिट्ठी न आ जाए 

उनके बारे में 

वे कामना करते थे 

कि बंद हो युद्ध और  

चिट्ठियों का सिलसिला 

और उनके सामने आ खड़े हों प्रत्यक्ष 

मोर्चे पर तैनात उनके अपने।

सम्पर्कः 406, सेक्टर-20, सिरसा-125055 (हरियाणा)

2 comments:

रश्मि लहर said...

मन छू गई हर पंक्ति

Sonneteer Anima Das said...

हृदयस्पर्शी 🌹🙏