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Jun 1, 2022

आधुनिक बोध कथा- 6 चट्टे बट्टे

- सूरज प्रकाश

एक देहात के बाज़ार में चार सब्जी वाले बैठते थे। दो महिलाएं और दो पुरुष। बाजार की सड़क उत्तर से दक्षिण की तरफ जाती थी। अब होता यह था कि उत्तर से आने वाले ग्राहक को सबसे पहले महिला का ठेला मिलता। मान लिया वह आलू 20 रुपये किलो दे रही है तो उसके बाद वाला पुरुष वही आलू 21 रुपये किलो बताता और अगली महिला के ठेले पर आलू 22 रुपये किलो बिक रहे होते। और एकदम दक्षिणी सिरे पर बैठा ठेले वाला वही आलू 23 रुपये किलो बताता।

अब कोई व्यक्ति दक्षिण की तरफ से आ रहा होता तो उसके सामने पड़ने वाला वही सब्जी वाला आलू 20 रुपये किलो बताता और इस तरह उलटी दिशा में दाम बढ़ते जाते।

दोनों तरफ से आने वाले ग्राहक हमेशा परेशान रहते कि वापिस जाकर 20 रुपये किलो खरीदें या यहीं पर 21 या 22 या 23 रुपये किलो खरीदें। मज़े की बात, चारों में से कोई भी एक पैसा कम न करता। ग्राहक को किसी न किसी से तो सौदा करना ही पड़ता। कभी सही दाम पर और कहीं ज्यादा दाम पर।

एक बार एक भले आदमी ने बुजुर्ग से दिखने वाले सब्जी वाले से फुर्सत के समय में पूछ ही लिया - क्या चक्कर है। उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ते हुए दाम बढ़ते हैं और दक्षिण की तरफ से आने वाले ग्राहक को उत्तर की ओर आते हुए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं।

दुकानदार ने समझाया – बाबूजी, यह बाज़ार है और बाज़ार में हमेशा कंपीटीशन होता है। सच तो यह है कि हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं। मियां, बीवी, बेटा और बहू। आप किसी से भी खरीदें, पैसे हमारे ही घर में आने हैं।

मामला ये है कि अगर हम चारों आपको आलू 20 रुपये किलो बतायें तो आप उसके लिए 18 या 19 रुपये देने को तैयार होंगे लेकिन जब हम 20 से 23 के बीच में आलू बेच रहे हैं तो आपको लगता है कि जहां सस्ते मिल रहे हैं, वहीं से ले लो।

डिस्क्लेमर : डिस्क्लेमर : यही हमारी राजनीति में हो रहा है। सामान वही है। लूटने के तरीके भी वही हैं और लूटने वाले भी वही हैं। सब एक ही कुनबे के।

हमें ही पता नहीं चलता कि हम किस से नाता जोड़ कर कब लुट रहे हैं और किससे नाता बनाकर ज़्यादा लुट रहे हैं। यही राजनीति का बाजार है।

9930991424, kathaakar@gmail.com

8 comments:

Bharati Babbar said...

बहुत रोचक दृष्टांत प्रस्तुत किया कहानी के माध्यम से।


Anonymous said...

रोचक प्रसंग के माध्यम से महत्वपूर्ण बात। सुंदर। सुदर्शन रत्नाकर

भीकम सिंह said...

बेहतरीन, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

विजय जोशी said...

बहुत ही सुंदर और सामयिक सत्य. हार्दिक बधाई

Anonymous said...

बहुत ही शानदार प्रस्तुति अटल सत्य

Anonymous said...

शानदार तरीके से आज की परिस्थितियों का विश्लेषण

Anonymous said...

बहुत सुंदर विश्लेषण, बिल्कुल सरल तरीके से

Anonymous said...

वाह ! बहुत ही रोचक ढंग से बात को प्रस्तुत किया
Manju Mishra
www.manukavya.wordpress.com