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Apr 1, 2022

उर्दू व्यंग्यः कस्टम डिपार्टमेंट में मुशायरा

मूल रचना – इब्ने इंशा, अनुवाद – अखतर अली

कस्टम डिपार्टमेंट में एक भव्य मुशायरे के आयोजन की योजना बनी और शायरों से संपर्क किया गया; क्योंकि आयोजन कस्टम वालों का था सो शायरों को भी अच्छे पारिश्रमिक की उम्मीद थी। यहाँ कनेक्शन और कलेक्शन की कोई कमी नहीं थी। कस्टम विभाग में भी ज़बरदस्त उत्साह था कि हम पहली बार लीक से हट कर कार्यक्रम कर रहे हैं, आम लोगों से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही थी।

शायरों में भी बात हो रही थी कि मुशायरा इतना ऊँचाई पर पहुँचे और  वहाँ इतनी वाह- वाह हो कि डिपार्टमेंट प्रति वर्ष मुशायरे का आयोजन करने लगे । अतः सभी आमंत्रित शायर वहाँ अपना श्रेष्ठ देने की कोशिश में जुट गए ।

दोनों पक्षों में आयोजन कि सफ़लता के लिए अच्छी खासी तैयारी की जाने लगी। अखबार में शराब ठेकेदारों की तरफ़ से फ़ुल पेज का विज्ञापन दिया गया तो सर्राफा वालों की तरफ़ से पूरे शहर को मुशायरे के पोस्टर से पाट दिया गया। आयोजन स्थल की ज़िम्मेदारी स्टील सेक्टर ने सँभाल ली, शायरों को ठहराने और खाने पीने की व्यवस्था विभाग ने अपने इंस्पेक्टरों को यह कहते हुए सौंपी कि कुछ तुम्हारी भी ज़िम्मेदारी बनती है।

सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था, कमिश्नर साहब प्रेस कांफ्रेंस लेने ही वाले थे कि मुखबिर ने ऐसी सूचना लाकर दी जिससे डिपार्टमेंट के माथे पर चिंता की लकीरे पड़ गई । मुखबिर ने बताया कि खबर मिली है कि अक्सर शायर माइक और श्रोता देखकर अनियंत्रित ट्रक की तरह हो जाते है और ग़ज़ल पर ग़ज़ल सुनाते ही जाते हैं यहाँ तक कि सुनने वाले शायरी का मज़ा लेने की बजाय शायर से बोर हो जाते हैं और लोग उठकर जाने लगते हैं जिससे अच्छा खासा मुशायरा फ्लाप हो जाता है।

कस्टम विभाग स्थिति से निपटने की तैयारी में जुट गया, अधिकारियों की बैठकों पर बैठक होने लगी। आमंत्रित सभी शायरों का पिछला रिकार्ड खँगाला जाने लगा, पुराने आयोजकों से संपर्क साधा गया, मुशायरों की पुरानी वीडियो जब्त कर उसका मुआयना किया गया और फिर विभाग की ओर से सभी आमंत्रित शायरों को नोटिस भेजी गई जिसमें लिखा था –

विभाग द्धारा आयोजित मुशायरे के संबंध में एक गाइड लाइन तैयार की गई जिसका पालन करना सभी शायरों के लिए आवश्यक है। जो भी शायर नियम का उल्लंघन करेगा, उसकी रचना अवैध मानी जाएगी, फ़लस्वरूप विभाग द्वारा उसका समूचा साहित्य सीज़ कर दिया जाएगा । इसके साथ ही उसके मुशायरों में भाग लेने पर तीन से पाँच साल का प्रतिबंध, पारिश्रमिक पर तीन सौ प्रतिशत ड्यूटी वसूली जाएगी और पाँच साल तक की जेल की सज़ा दी जाएगी 

कस्टम विभाग का स्पष्ट निर्देश था कि –

(1) किसी भी शायर को एक से अधिक ग़ज़ल पढ़ने की अनुमति नहीं है ।

(2) कोई भी ग़ज़ल में पाँच से अधिक शेर नहीं होना चाहिए ।

(3) ग़ज़ल छोटी बहर की ही हो यह आवश्यक है ।

(4) किसी भी शेर में पाँच से अधिक शब्द मान्य नहीं होंगे ।

(5) वाह-वाह होने पर किसी भी स्थिति में शायर शेर को दोबारा नहीं पढ़ेगा ।

(6) प्रत्येक शायर को माइक तीन मिनट के लिए ही दिया जाएगा।

(7) सभी शायरों को निर्देश दिया जाता है कि वे उक्त नियमों का पालन करे अन्यथा उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी ।

नोटिस मिलते ही शायरों का रदीफ़ काफ़िया बिगड़ गया । सबने अपनी रचनाओं का पुनर्लेखन किया। ग़ज़ल में से शेर कम किए, शेर में से शब्द घटाए, तीन मिनट की समयावधि को ढाई मिनट में खत्म करने की जुगत में लग गये । पहली बार शायर मुशायरे के शौकीनों से निवेदन करने लगे कि भाई कस्टम वाले मुशायरे में तशरीफ़ न लाना; क्योंकि तुम वाह- वाह और दोबारा करोगे, तो हम अपने को रोक नहीं पाएँगे ।

उधर विभाग कार्यवाही करने से अपने को रोक नहीं पा रहा था । वहाँ फिर एक मीटिंग हुई कि नोटिस तो दे दिए, अब क्या करना चाहिए?

फ़्लाइंग स्क्वायड वालों ने कहा – सभी शायरों के ठिकानों पर एक साथ छापा मारकर उनका समस्त साहित्य जब्त कर लेना चाहिए। उनकी पेन और डायरी मुशायरे तक के लिये कस्टम वालों को अपनी कस्टडी में ले लेना चाहिए । हम जानते हैं कि एक डायरी और एक पेन ज़ब्त कर लेने से शायर का लिखना बंद नहीं हो सकता, इसलिए हमको हर शायर के दोनों हाथों की उँगलियों पर टेप चिपकाकर सील लगा देना चाहिए ।

इससे क्या होगा? वह लिख नहीं सकेगा तो बोलेगा और लिख कोई और लेगा इसलिये उसके मुँह को भी बंद करना होगा । इस तरह की भी किसी ने शंका ज़ाहिर की ।

किसी ने कहा – बोल नहीं सकेगा तो मन ही मन रच लेगा ।

आखिर में इस नतीजे पर मीटिंग समाप्त हुई कि मुशायरा जैसा होता है, उसे अपने अंदाज़ में होने दिया जाए; क्योंकि कोई कितनी भी ताकत लगा ले, राह में कितने भी बेरिकेट्स खड़े कर दिये जाएँ, लेकिन  सृजन रुक नहीं सकता, अभिव्यक्ति दब नहीं सकती ।

सम्पर्कः निकट मेडी हेल्थ हास्पिटल, आमानाका, रायपुर (छत्तीसगढ़)  मो. 9826126781, email– akhterspritwala@gmail.com 

1 comment:

विजय जोशी said...

उम्दा व्यंग. हार्दिक बधाई