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Nov 1, 2021

उदंती.com, नवम्बर 2021

वर्ष 14अंक- 3

शुभ दीपावली

आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़ेऔर उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम

 -शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

 इस अंक में

अनकहीः  अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए....  - डॉ. रत्ना वर्मा

ललित निबंधः आलोक पर्व की ज्योतिर्मयी देवी लक्ष्मी - हजारी प्रसाद द्विवेदी

कविताः दीप से दीप जले - माखनलाल चतुर्वेदी

आलेखः दीया हमारा होते ही रोशन होगी जिंदगी उनकी - डॉ. महेश परिमल

व्यंग्यः लक्ष्मी नहीं आईआ गई महँगाई ! - गिरीश पंकज

कविताः 1. दीपक माला 2. दीपक मेरे मैं दीपों की - रामेश्वर  शुक्ल 'अंचल'

जीवन दर्शनः ईश्वर का हाथ : सदा रखें साथ  -विजय जोशी  

छत्तीसगढ़ की दीवालीः  लोक संस्कृति में ग्वालिन पूजा - उदंती फीचर्स

आलेखः बड़ा महत्त्वपूर्ण है शब्दों का चयन - डॉ. आशीष अग्रवाल

संस्मरणः टहनी सचमुच माँ को बुला लाई थी ! - निर्देश निधि

लघुकथाः फिर से तैयारी - डॉ. कविता भट्ट

बाल एकांकीः चक्रव्यूह - कमला निखुर्पा

बाल कविताः तितली रानी.. - प्रियंका गुप्ता

बाल कविताः सवेरासूरज की सवारी - डॉ. अर्पिता अग्रवाल

बाल कथाः कंजूस और सोना - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

लघुकथाः हिसाब बराबर - डॉ. आरती स्मित

कविताः अपनी दीवाली - डॉ. उपमा शर्मा

स्वास्थ्यः क्यों कुछ लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं  - हिन्दी ज़ेन

कविताः सब बुझे दीपक जला लूँ  - महादेवी वर्मा

प्रदूषणः हम भारत में नियमों का पालन क्यों नहीं करते ? स्रोत फीचर्स

कविताः 1. आज फिर से तुम... 2आत्मदीप - हरिवंशराय बच्चन

 


1 comment:

JAIDEV TOKSIA said...

बहुत सुंदर चयन